Parivartini Ekadashi: 17 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Thursday, Sep 16, 2021 - 12:21 PM (IST)
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। यह शुभ दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हर महीने कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष दो एकादशी तिथियां आती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ दिन पर श्रीहरि की पूजा व व्रत रखने के पापों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक रहेगी। इस शुभ तिथि को परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी, पद्मा एकादशी, वामन ग्यारस के नाम से भी जाना जाता। चलिए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि...
परिवर्तिनी एकादशी तिथि
हिंदू पंचाग के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी की तिथि 16 सितंबर 2021, दिन गुरुवार को सुबह 09:39 मिनट से 17 सितंबर 2021, दिन शुक्रवार सुबह 08:08 मिनट तक रहेगी। मगर उदय तिथि 17 सितंबर होने से एकादशी का व्रत इस दिन यानि शुक्रवार को ही रखा जाएगा।
परिवर्तनी एकादशी शुभ मुहूर्त
परिवर्तनी एकादशी पुण्य काल- 17 सितंबर 2021, दिन शुक्रवार सुबह 06:07 मिनट से दोपहर 12:15 मिनट तक रहेगा। ऐसे में पूजा के लिए 06 घंटे 08 मिनट तक का समय होगा। साथ ही 17 सितंबर को सुबह 06:07 मिनट से 08:10 मिनट तक का समय महापुण्य काल कहलाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में जाते हैं। फिर अगली एकादशी पर वे करवट बदलते हैं। करवट लेने से श्रीहरि का स्थान परिवर्तन होने से इस दिन को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की पूजा व व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे जीवन के समस्या पापों से छुटकारा मिल जाता है। देवी लक्ष्मी की असीम कृपा होने से घर में अन्न व धन की बरकत बनी रहती है। साथ ही वाजपेय यज्ञ जितना पुण्य मिलता है। कथाओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन अवतार में उनका सब कुछ दान में मांगा था। तब राजा बली की भक्ति से प्रसन्न होने भगवान श्रीहरि ने अपनी प्रतिमा उन्हें सौंप दी थी। इसलिए परिवर्तिनी एकादशी को वामन ग्यारस भी कहा जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
. सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
. अब घर के मंदिर को साफ करके दीपक जलाएं।
. भगवान विष्णु की प्रतिमा का गंगाजल अभिषेक करें।
. श्रीहरि को चंदन का तिलक करें।
. फिर फूल, तुलसी, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत चढ़ाएं।
. अगर संभव हो पाएं तो इस दिन व्रत रखें।
. भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करके कथा पढ़े।
. आरती करके प्रसाद में तुलसी डालकर भोग लगाएं।
. इस दिन देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें।
. पूरा दिन भगवान की भक्ति में ध्यान लगाएं।
. भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं और भी खुद भी ग्रहण करें।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण का समय
जो लोग 17 सितंबर को व्रत रखेंगे वे इसका पारण 18 सितंबर 2021, दिन शनिवार को करेंगे। पारण का समय सुबह 06:07 मिनट से सुबह 06:54 मिनट तक रहेगा। फिर इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी।