सीता नवमी 2025: जानें व्रत की तिथि, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व
punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 06:06 PM (IST)

नारी डेस्क: वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता सीता के जन्म की खुशी में विशेष पूजा की जाती है। इस पर्व को खासतौर पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखकर मनाती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि इस वर्ष सीता नवमी कब है, इसकी पूजा विधि, महत्व, और मुहूर्त की पूरी जानकारी।
सीता नवमी 2025 की तिथि और समय
नवमी तिथि प्रारंभ: 5 मई 2025 को सुबह 7 बजकर 35 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त: 6 मई 2025 को सुबह 8 बजकर 38 मिनट तक
उदयातिथि के अनुसार पर्व: 5 मई 2025 को ही सीता नवमी मनाई जाएगी
मध्यान्ह पूजा मुहूर्त: सुबह 11:14 बजे से दोपहर 1:52 बजे तक
जानकी पूजा विधि
सीता नवमी के दिन पूजा करने की विधि सरल लेकिन बहुत पवित्र होती है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। घर के पूजा स्थान या मंदिर में मां सीता की मूर्ति या तस्वीर रखें। मां के सामने दीपक जलाएं और उन्हें फूल, फल और मिठाई का भोग चढ़ाएं। रामायण या सीता चरित्र का पाठ करें। यदि संभव हो तो पूरे परिवार के साथ करें। दिनभर व्रत रखने वाले लोग फलाहार करें (फल, दूध, सूखे मेवे आदि खाएं)। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें। अंत में आरती कर के प्रार्थना करें कि माता सीता का आशीर्वाद आपके जीवन में बना रहे।
सीता जयंती का महत्व
मां सीता को धैर्य, संयम, पवित्रता और नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनका जीवन हर नारी को संस्कार, कर्तव्य भावना, और आत्मबल का पाठ सिखाता है। इस दिन व्रत रखने और मां सीता की पूजा करने से जीवन में:
धैर्य और संयम बढ़ता है
पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है
दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बना रहता है
महिलाओं को सशक्त बनने की प्रेरणा मिलती है
सीता नवमी न केवल मां सीता के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अवसर भी है, जो हमें नारी शक्ति, पवित्रता और कर्तव्य का स्मरण कराता है। यह दिन खास तौर पर विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे इस दिन पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं।