इस चमत्कारी मंदिर में होती है मां की योनि की पूजा, यहां 4 दिन तक माता को आते हैं Periods
punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 12:33 PM (IST)

नारी डेस्क: चार दिवसीय अंबुबाची मेले के दूसरे दिन सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करने के लिए गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर पहुंचे। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है और योनी भाग के यहां होने से माता यहां रजस्वला भी होती हैं। यहां हर साल मानसून के मौसम में अंबुबाची मेला आयोजित किया जाता है। इस साल यह मेला 22 जून से 26 जून तक मनाया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इस दिन मंदिर बंद रहता है।

ब्रह्मपुत्र का पानी हो जाता है लाल
अंबुबाची प्रभृति अनुष्ठान करने के बाद, कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार रविवार को बंद हो गया और 26 जून को फिर से खोला जाएगा। माना जाता है कि जब देवी अपने मासिक धर्म से गुजरती हैं तब पूजा को रोक दिया जाता है। साल में एक बार इस दौरान मंदिर के कपाट चार दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि के दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से भक्त यहां पहुंचते हैं। यहां स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। माना जाता है कि पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है। दूसरे शक्तिपीठों की अपेक्षा कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है।
इस मंदिर में नहीं है माता की मूर्ति
पौराणिक कथाओं में है कि इस मंदिर को कामदेव ने भगवान विश्वकर्मा की मदद से बनवाया था और तब इसका नाम आनंदख्या रखा गया। कामाख्या मंदिर का जिक्र कालिका पुराण, योगिनी तंत्र, शिव पुराण, बृहद्वधर्म पुराण में भी मिलता है। इतिहास में दर्ज है, सोलहवीं शताब्दी में इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन कालांतर में कूच बिहार के राजा नर नारायण देव ने सत्रहवीं शताब्दी में इस पवित्र मंदिर का फिर से निर्माण करवाया। इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अम्बे की कोई मूर्ति या चित्र दिखाई नहीं देता है जबकि मंदिर में एक कुंड बना है जो कि हमेशा फूलों से ढ़का रहता है। इस कुंड से हमेशा ही पानी निकलता रहता है।
यहां दूर- दूर से आते हैं भक्त
असम सरकार की वेबसाइट के अनुसार, गुवाहाटी से 7 किमी दूर कामाख्या मंदिर देश के सबसे बड़े शक्ति मंदिरों में से एक है। नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित यह तांत्रिक उपासकों और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इस मंदिर में कई अन्य पूजाओं का आयोजन किया जाता है, जिनमें दुर्गा पूजा, दुर्गादेउल और मदनदेउल शामिल हैं। इस मंदिर में की जाने वाली कुछ अन्य पूजाओं में मनसा पूजा, पोहन बिया और वसंती पूजा शामिल हैं।