घर के इस दिशा में भूलकर भी ना बनाएं किचन का सिंक, वरना हो जाएंगे कंगाल

punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2023 - 04:35 PM (IST)

वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर में रसोईघर यानी किचन की अहम भूमिका होती है। किचन के लिए घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इसी दिशा में अग्नि अर्थात ऊर्जा का वास होता है। इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। स्त्रियों का भी ज्यादातर समय किचन में गुजरता है। घर के किचन में वास्तु दोष होने से स्त्रियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार भूलकर भी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन नहीं बनाना चाहिए। इससे घर में अनावश्यक खर्चों को बढ़ा सकता है।

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वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर के सदस्यों में रोग, दुर्घटना, संतान के प्रति चिंता जैसी परेशानियां इस दिशा में किचन होने के कारण हो सकती हैं।

आइए जानते हैं किचन से जुड़े वास्तु टिप्स...

1.किचन में गैस का चूल्हा रखने के लिए पत्थर का स्लैब पूर्व तथा उत्तर दिशा की ओर बनाना चाहिए। जिससे खाना बनाने के समय गृहिणी का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।

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2.बर्तन धोने के लिए सिंक का ईसान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा में व्यवस्थित होना सबसे शुभ माना जाता है।

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3.रसोई घर में प्रकाश की व्यवस्था जैसे खिड़की या बल्व पूर्व और उत्तर दिशा में अवश्य लगाना चाहिए।
4.किचन में फ्रिज हमेशा उत्तर पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
5.इंडक्शन- माइक्रोवेव आदि हमेशा दक्षिण पूर्व के कोने में रखा जाना चाहिए।

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6.रसोईघर में प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थ आटा, चावल, दाल आदि पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में रखने चाहिए ।
7.कभी भी रसोई के अंदर मंदिर नहीं बनाना चाहिए। इससे परिवार के किसी सदस्य को रक्त संबंधी बीमारी भी हो सकती है।
8.किचन और बाथरुम कभी भी एक सीध में नहीं होना चाहिए। इससे परिवार में सदस्यों का स्वास्थय ठीक नहीं रहता है।
9.वास्तु दोष दूर करने के लिए रसोई के दरवाजे पर लाल रंग का क्रिस्टल लगाना चाहिए।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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