1971 के बाद भारत में फिर से Blackout , उस समय अंधेरे में डूब जाते थे शहर, सायरन बजते ही छुप जाते थे लोग
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 05:36 PM (IST)

नारी डेस्क: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच माहौल बिगड़ता जा रहा है। सीमा पर लगातार बढ़ रहे तनाव और खतरे के बीच गृह मंत्रालय ने राज्यों को 7 मई को मॉक ड्रिल करवाने का आदेश दिया है। इसके अलावा ब्लैकआउट रिहर्सल करवाने का भी आदेश जारी किया गया है। यह दोनों ही दोनों ही नागरिकों और महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं। इनका पालन जिम्मेदारी और संयम के साथ करना चाहिए।आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।
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ब्लैकआउट क्या होता है?
युद्ध या हवाई हमले के खतरे के समय, पूरे इलाके में बिजली की सप्लाई बंद कर दी जाती है या लोगों को निर्देश दिए जाते हैं कि कोई भी लाइट चालू न रखें। इसका मकसद होता है कि ऊपर से देखने पर दुश्मन को यह न लगे कि नीचे कोई आबादी या सैन्य ठिकाना है। ब्लैकआउट से दुश्मन के विमान या मिसाइलें टारगेट को पहचान नहीं पातीं।
ब्लैकआउट के दौरान लोगों को क्या करना होता है?
-घर की सारी लाइटें बंद करनी होती हैं, खासकर खिड़कियों से बाहर नजर आने वाली।
-मोबाइल या टॉर्च का भी प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए यदि जरूरी हो तो ब्लैक पेपर या कपड़े से कवर करके।
-बाहर निकलने से बचना चाहिए, यदि निकलना जरूरी हो तो वाहन की लाइटें धीमी रखें या ब्लैकआउट कवर का उपयोग करें।
-रेडियो या सरकारी अलर्ट सिस्टम से जुड़े रहें, ताकि अपडेट मिलता रहे।
पालन करने वाले मुख्य नियम:
-सिविल डिफेंस की गाइडलाइंस को मानना अनिवार्य होता है।
-खिड़कियों और दरवाजों को मोटे कपड़े या ब्लैक पेपर से ढकना ।
-इमरजेंसी किट तैयार रखना, जिसमें टॉर्च, पानी, दवा, कुछ खाने की चीज़ें और रेडियो हो।
-घबराना नहीं, बल्कि परिवार के साथ एक सुरक्षित स्थान पर रहना चाहिए।
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1971 में हुआ था भारत में ब्लैकआउट
भारत में अंतिम बार इस प्रकार का ब्लैकआउट 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान हुआ था। उस समय देश ने अपने नागरिकों को संभावित हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के लिए रणनीतिक तैयारियां की थीं। उस समय शाम होने के बाद लोगों के घरों की लाइट नहीं जला करती थी, क्योंकि ये हिदायत थी कि शहरों को अंधेरा रखा जाए । हर शहर में एयर रेड सायरन लगाए गए थे, हमला होने पर सायरन बजता. लोगों को तुरंत बंकर या सुरक्षित स्थान में जाने की सलाह दी जाती थी अब, लगभग 50 वर्षों के बाद फिर से एक संगठित मॉक ड्रिल की योजना बताती है कि सरकार इस बार किसी भी अप्रत्याशित खतरे को हल्के में नहीं ले रही। कारगिल युद्ध (1999) के समय भी कुछ इलाकों में रात के समय ब्लैकआउट कराया गया।
मॉक ड्रिल (Mock Drill) क्या होती है?
मॉक ड्रिल एक पूर्वाभ्यास (rehearsal) है जो युद्ध, आपदा या आतंकी हमले जैसी आपात स्थिति में लोगों को सही व्यवहार और बचाव सिखाने के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य लोगों को तैयार करना होता है, जिससे वह मुसीबत आने पर घबराएं नहीं।
मॉक ड्रिल के दौरान पालन करने के नियम
-घबराएं नहीं, यह एक अभ्यास है।
-जो निर्देश दिए जाएं, उनका पालन करें (जैसे इमारत खाली करना, सुरक्षित स्थान पर जाना आदि)।
-बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों की सहायता करें।
-सरकारी टीमों के साथ सहयोग करें।