भारत में 30% लोगों का लिवर शराब न पीने के बावजूद भी है फैटी, ये हैं तीन कारण
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 12:14 PM (IST)

नारी डेस्क: फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारे लिवर (जिगर) की कोशिकाओं में जरूरत से ज्यादा चर्बी जमा हो जाती है। लिवर शरीर का एक जरूरी अंग है जो हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलता है और शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है। जब लिवर में ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो उसका कामकाज धीरे-धीरे प्रभावित होने लगता है। पहले फैटी लिवर की समस्या ज्यादातर उन लोगों में देखी जाती थी जो ज्यादा शराब पीते हैं। लेकिन अब यह बीमारी उन लोगों में भी तेजी से बढ़ रही है जो बिल्कुल शराब नहीं पीते। इसे नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) कहा जाता है। NAFLD यानी नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर के बढ़ने की मुख्य वजहें हैं:
गलत खानपान और प्रोसेस्ड फूड का सेवन
फैटी लिवर के अधिकतर मामलों में खराब खानपान सबसे बड़ी वजह बनता है। तली-भुनी चीजें, ज्यादा तेल और मसाले वाला खाना, और फास्ट फूड लिवर के लिए नुकसानदायक होते हैं। हाई-फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप से बने कोल्ड ड्रिंक्स और मीठे जूस फैट को तेजी से लिवर में जमा करते हैं। प्रोसेस्ड फूड जैसे पैकेट वाले चिप्स, नूडल्स, बर्गर, और रेडीमेड खाना लिवर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया को कमजोर कर देता है।
मोटापा और इंसुलिन रेज़िस्टेंस
जो लोग बहुत ज्यादा मोटे हैं, खासकर जिनके पेट पर चर्बी ज्यादा है, उनमें लिवर पर फैट जमा होने की संभावना अधिक होती है। मोटापा इंसुलिन रेज़िस्टेंस को बढ़ाता है। इसका मतलब यह है कि शरीर इंसुलिन हार्मोन पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता, जिससे ग्लूकोज और फैट शरीर में सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता। इससे लिवर की कोशिकाओं में फैट धीरे-धीरे जमा होता रहता है और लिवर पर दबाव बढ़ता है।
बैठे रहने की आदत और तनाव
आजकल बहुत लोग दिन भर कुर्सी पर बैठे रहते हैं, खासकर ऑफिस वाले काम में। ऐसे में शारीरिक गतिविधि की कमी हो जाती है। फिजिकल एक्टिविटी की कमी से शरीर की अतिरिक्त कैलोरी फैट में बदल जाती है और लिवर में जमा हो जाती है। तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन बढ़ जाता है, जो मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है और फैट को लिवर में जमा करता है। नींद की कमी भी लिवर हेल्थ को प्रभावित करती है।
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फैटी लिवर के लक्षण क्या हो सकते हैं?
शरीर में लगातार थकान और कमजोरी
वजन का तेजी से बढ़ना
पेट में भारीपन या हल्का दर्द
पाचन से जुड़ी दिक्कतें
भूख कम लगना
स्किन या आंखों में पीलापन (गंभीर स्थिति में)
लंबे समय तक लिवर में फैट जमा रहने से फाइब्रोसिस (लिवर की सूजन और स्कारिंग), सिरोसिस, लिवर कैंसर, या लिवर फेल्योर तक की नौबत आ सकती है।
फैटी लिवर से कैसे बचें?
सही और संतुलित खाना खाएं: ताजा फल, हरी सब्जियां, दाल, होल ग्रेन (जैसे ओट्स, ब्राउन राइस) और सूखे मेवे को अपने भोजन में शामिल करें। फास्ट फूड, पैकेट वाला खाना और तली-भुनी चीजों से दूर रहें। मीठे जूस, कोल्ड ड्रिंक्स और अधिक शक्कर से परहेज करें।
नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट तक वॉक करें या कोई हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। योग और प्राणायाम से भी लिवर को फायदा होता है।
वजन को नियंत्रित रखें: वजन अगर बढ़ गया है तो धीरे-धीरे कम करने की कोशिश करें। अचानक डाइटिंग न करें, बल्कि हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज से वजन घटाएं।
तनाव को दूर रखें: मेडिटेशन, योग, और अपनी पसंद की गतिविधियों में समय बिताएं। अच्छी नींद लें, कम से कम 7–8 घंटे सोने की कोशिश करें।
नियमित मेडिकल चेकअप कराएं: लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) समय-समय पर कराना जरूरी है, खासकर अगर आपको मोटापा, डायबिटीज, या हाई ब्लड प्रेशर है। शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का पता लगने पर इलाज आसान होता है।
फैटी लिवर एक गंभीर लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी है। अगर समय रहते सावधानी बरती जाए तो इससे बचा जा सकता है। शराब न पीने वालों को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि उन्हें यह बीमारी नहीं हो सकती। अच्छा खानपान, नियमित व्यायाम और तनावमुक्त जीवनशैली से आप लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं।