हड्डियों की जान निकाल देता है चिकनगुनिया बुखार, सूजन-जोड़ दर्द से आराम का एक देसी इलाज
punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 03:27 PM (IST)

नारी डेस्कः चिकनगुनिया (Chikungunya) का नाम तो आपने सुना होगा। यह मच्छरों से फैलने वाली एक एक वायरल बीमारी है जो मुख्यतः Aedes aegypti और Aedes albopictus के काटने से फैलती है। यह रोग तेज बुखार और जोड़ों के दर्द के लिए जाना जाता है। जब कोई व्यक्ति इसकी चपेट में आता है तो उसे जोड़ों में असहनीय दर्द की समस्या होती है। चलिए इसके बारे में आपको ओर अधिक जानकारी देते हैं।
चिकनगुनिया के प्रमुख लक्षण
तेज बुखारः अचानक तेज बुखार जो कई दिनों तक रह सकता है।
जोड़ों में तेज दर्दः खासकर हाथ, पैर, घुटने, टखने, कलाई आदि में
सूजन और अकड़नः जोड़ों में सूजन और चलने-फिरने में दिक्कत
सिरदर्दः लगातार सिर दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है।
त्वचा पर लाल चकत्तेः शरीर पर लाल दाने या रैशेज हो सकते हैं।
थकावट और कमजोरीः शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होना
आँखों में जलन व दर्दः आंखों में लालिमा, जलन या हल्का दर्द
उल्टी या जी मिचलानाः कुछ मामलों में मतली या उल्टी भी हो सकती है।
जोड़ों में असहनीय दर्द के साथ कमजोरी
चिकनगुनिया में तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द होता है और इस दौरान शरीर में कमजोरी भी बहुत महसूस होती हैं। ऐसे में दवाओं के साथ कुछ घरेलू इलाज भी मददगार साबित हो सकते हैं। इन नुस्खों में अर्जुन की छाल का अर्क बहुत फायदेमंद रहता है। यह कई बायोएक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। अर्जुन की छाल से बने काढ़े का एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर अर्जुन की छाल का काढ़ा कई तरह के लक्षणों को कम करता है। इससे तेजी से रिकवरी मिलती हैं।
चिकनगुनिया में अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे फायदेमंद है?
आयुर्वेद में अर्जुन छाल औषधीय जड़ी बूटी है जो कि खास एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। खासकर जोड़ों के दर्द, सूजन, वायरल संक्रमण के बाद की कमजोरी और हृदय संबंधी लक्षणों को ठीक करने में ये बहुत फायदेमंद है। यह एक एंटीवायरल नहीं है, लेकिन शरीर की ऊतकों, खासकर रक्तमांस हृदय, पर रोग के बाद के प्रभावों को दूर करके मदद करता है। दरअसल, बुखार कम होने के बाद बिगड़े हुए वात और रक्त के कारण जोड़ों में सूजन आ जाती है और मांसपेशियों में दर्द उठता है। ऐसे में की अर्जुन की छाल का काढ़ा इस सूजन को ठीक करने में मदद करता है। यह शरीर को डिटॉक्स करने के साथ खून साफ करने में मदद कर सकता है। इससे पित्त की समस्या ठीक होती है और मांसपेशियों के दर्द से भी राहत मिलती है।
चिकनगुनिया में कैसे लें अर्जुन की छाल का काढ़ा
अर्जुन की छाल का काढ़ा आप घर पर बनाकर ले सकते है। बस 5 से 10 ग्राम अर्जुन की छाल का दरदरा चूर्ण लें और 200 मिलीलीटर पानी में इस डालकर उबालें। जब पानी आधे से भी कम रह जाए तो इसे छान कर पी लें। आप दिन में दो बार यह काढ़ा ले सकते हैं। सुबह खाली पेट या रात में हल्के भोजन के बाद ले सकते हैं। आप चाहे तो बाद में इसमें 1 छोटा चम्मच शहद या एक चुटकी गुडुची चूर्ण भी मिल सकते हैं। लेकिन रोज इस काढ़े का सेवन ना करें क्योंकि ऐसा करने से शरीर में वात-पित्त-कफ को असंतुलित कर सकता है। एक्सपर्ट की सलाह से 1 सप्ताह के लिए उपयोग करने कर सकते है।
ध्यान देने वाली बात
बहुत ज्यादा कब्ज या बीपी की समस्या है तो पहले चिकित्सक परामर्श लें।
स्तनपान करवाने वाली महिलाएं डाक्टर से पूछ कर काढ़ा लें।
हृदय या रक्तचाप की दवाइयां ले रहे हैं तो काढ़ा ना लें। अगर आप नियमित रूप से दवा ले रहे हैं तो चिकित्सक से परामर्श लें। अर्जुन का काढ़ा चिकनगुनिया से उभरने में मदद करता है लेकिन पूरी तरह से यह इलाज नहीं है।
चिकनगुनिया से कौन सा अंग प्रभावित होता है?
चिकनगुनिया बुखार, हड्डियों और मांसपेशियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसके अलावा हड्डियों में सूजन और दर्द बढ़ सकता है।
चिकनगुनिया में क्या परहेज जरूरी?
चाय और कॉफी, जंक फूड, राजमाह, कुलथ जैसी दालों के सेवन से बचना चाहिए। तेज मसालेदार भोजन खाने से बचें।
चिकनगुनिया में कौन सा जूस पीएं ?
चिकनगुनिया में गिलोय का जूस और अनार का जूस पी सकते हैं।