21% लंग कैंसर मरीज 50 साल से कम उम्र के, ये है कारण
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 01:00 PM (IST)

नारी डेस्क: लंग कैंसर यानी फेफड़ों का कैंसर अब सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रहा है। भारत में अब 50 साल से कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं। लंग कैंसर फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 21% लंग कैंसर के मरीज 50 साल से कम उम्र के हैं। इनमें से कुछ की उम्र तो 30 साल से भी कम है। यह आंकड़ा काफी चिंताजनक है क्योंकि पहले लंग कैंसर को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था।
लंग कैंसर से बचाव के लिए सावधानी जरूरी
लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है लेकिन अगर इसके लक्षण समय पर पहचान लिए जाएं और जीवनशैली को बेहतर बनाया जाए तो इससे बचा जा सकता है। खासतौर पर युवाओं को अब ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि यह बीमारी अब उम्र के आधार पर नहीं आती। साफ हवा, सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली फेफड़ों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है।
लंग कैंसर बढ़ने के मुख्य कारण
इस बीमारी के बढ़ते मामलों के पीछे सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण माना जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, दुनिया की 91% आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जहां हवा WHO के तय मानकों से भी ज्यादा खराब होती है। इस गंदी हवा में मौजूद पीएम 2.5 जैसे छोटे-छोटे कण सीधे फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं। ये कण पावर प्लांट, वाहनों का धुआं, फैक्ट्रियों और कूड़ा जलाने से निकलते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप 20 मिलीग्राम पीएम 2.5 वाली हवा सांस ले रहे हैं, तो इसका असर एक सिगरेट पीने जैसा होता है। और अगर ये मात्रा 200 मिलीग्राम हो तो यह 10 सिगरेट पीने जितना नुकसान पहुंचाता है।
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धूम्रपान और पैसिव स्मोकिंग का खतरा
प्रदूषण के अलावा धूम्रपान, पैसिव स्मोकिंग (दूसरों के सिगरेट के धुएं का असर), लकड़ी या कोयले पर खाना पकाना, रसायनों के संपर्क में आना और कमजोर इम्यून सिस्टम भी लंग कैंसर के कारण होते हैं। खासकर शहरों में जहां प्रदूषण ज्यादा होता है, लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। धूम्रपान न करने वाले लोग सोचते हैं कि उन्हें लंग कैंसर नहीं होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। पैसिव स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक होती है। जब कोई सिगरेट पीता है तो उसका धुआं पास बैठे दूसरे व्यक्ति के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है।
बच्चों के लिए पैसिव स्मोकिंग और भी ज्यादा खतरनाक होती है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ऐसे बच्चे अस्थमा, निमोनिया, खांसी और यहां तक कि लंग कैंसर का शिकार हो सकते हैं।
लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण
लंग कैंसर की पहचान जल्द करना बहुत जरूरी होता है। लेकिन इसके शुरुआती लक्षण आम बीमारियों जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। लगातार खांसी होना, खांसी में खून आना, आवाज का बदलना या भारीपन महसूस होना, सांस फूलना, थकान लगना और बिना वजह वजन कम होना ये सभी लंग कैंसर के संकेत हो सकते हैं। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
लंग कैंसर से बचाव के आसान उपाय
लंग कैंसर से बचने के लिए अपने आस-पास के माहौल और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। सबसे पहले तो धूम्रपान और तंबाकू का सेवन पूरी तरह बंद कर दें। यदि घर में कोई धूम्रपान करता है, तो बच्चों को उससे दूर रखें। अपने खाने में ताजे फल और हरी सब्जियां शामिल करें, ताकि आपकी इम्यूनिटी मजबूत हो सके। नियमित रूप से सांस से जुड़ी एक्सरसाइज करें। प्रदूषित इलाकों में बाहर निकलते वक्त मास्क या स्कार्फ का इस्तेमाल करें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाना भी फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
आज लंग कैंसर सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। युवाओं को भी इसे लेकर जागरूक रहना होगा। प्रदूषण और धूम्रपान से बचाव, सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम इस बीमारी से काफी हद तक बच सकते हैं। इसलिए अपनी और अपने परिवार की सेहत का ख्याल रखें और समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाते रहें।