Personal Problem: क्या होते हैं चाॅकलेट सिस्ट? बांझ बना देगी लक्षणों की अनदेखी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 10:44 AM (IST)

भारतीय महिलाओं में आजकल एंडोमेट्रियोसिस यानि चॉकलेट सिस्ट की समस्या काफी देखने को मिल रही है। मगर, फिर भी महिलाओं को इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। शोध के मुताबिक, करीब 89 मिलियन महिलाएं इस समस्या से जूझ रही है। यही नहीं, एक्ट्रेस सेलीना जेटली भी इसका शिकार हो चुकी हैं। 25 से 30 साल की कंसीव ना कर पाने की एक वजह यह भी हो सकती है। चलिए आपको बताते हैं कि चॉकलेट सिस्ट क्या है और महिलाओं को कैसे करती हैं प्रभावित...

क्या है चॉकलेट सिस्ट?

इसमें पीरियड्स के दौरान टिश्यू के अंदर की तरफ भी ब्लीडिंग होती है। ओवरी (अंडाशय) में जमा खून का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और इकट्ठा होकर सिस्ट बना लेता है। जमा हुआ खून चॉकलेट की तरह दिखता है इसलिए इसे 'चॉकलेट सिस्ट' भी कहते हैं। इसके कारण पूरे पेल्विक एरिया में ब्लड स्पॉट्स भी होने लगते हैं, जिससे ओवरीज, इंटेस्टाइन और ट्यूब्स आपस में जुड़ जाती हैं।

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इनफर्टिलिटी का बन सकता है कारण

इसके कारण ओवरीज और ट्यूब्स आपस में जुड़ जाती है या डैमेज हो जाती है। इसके कारण ना सिर्फ पीरियड्स में असहनीय दर्द होता है बल्कि महिलाओं को गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है। यही नहीं, यह इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकता है। अगर स्थिति ज्यादा खराब हो जाए तो पेल्विस ऑर्गंस भी डैमेज हो सकते हैं, जिसे 'फ्रोजन पेल्विस' कहा जाता है।

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चॉकलेट सिस्ट के कारण

. इनफर्टिलिटी
. संबंध बनाते समय दर्द के अलावा
. रेक्टम और स्टूल एरिया में तकलीफ
. कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द
. इसमें पीरियड्स में इतना तेज दर्द होता है कि पेनकिलर्स से भी आराम नहीं पड़ता।

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क्या संभव है इलाज?

. फैमिली हिस्ट्री, सोनोग्राफी, एग्जामिनेशन के जरिए इसका पता लगाया जाता है। वैसे इसके लिए सुरक्षित टेबलेट्स व इंजेक्शंस भी मौजूद है, जो 2-3 साल तक बचाव रखते हैं।

. लेकिन अगर स्थिति गंभीर हो तो डॉक्टर लैप्रोस्कॉपी यानि एंडॉस्कॉपिक सर्जरी भी करवानी पड़ती है। इसमें पेल्विस में ऑपरेटिंग इंस्ट्रमेंट्स डालकर इलैक्ट्रिक करंट या लेजर की मदद से एंडोमेट्रियोटिक हिस्से को खत्म कर दिया जाता है। मगर, सर्जरी के बाद भी इसके होने के चांसेज रहते हैं।

. अगर उम्र ज्यादा है और कई बार सर्जरी हो चुकी है तो हिस्टेरेक्टॉमी व ऊफोरेक्टॉमी यानी यूट्रस व ओवरीज को निकालना ही सॉल्यूशन है।

. इसके अलावा एंडोमेट्रियोसिस की ग्रोथ कम करने के लिए हार्मोन थेरपी भी असरदार है लेकिन असर स्थिति गंभीर ना हो।

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एंडोमेट्रियोसिस से परेशान महिलाएं IUI, IVF जैसे ट्रीटमेंट के जरिए कंसीव कर सकती हैं।


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Content Writer

Anjali Rajput

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