आपके मां बनने का सपना छीन सकती है गर्भाशय की गांठ, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 04:21 PM (IST)

नारी डेस्क: फाइब्रॉएड (Uterine Fibroids) को गर्भाशय की गांठ या रसौली भी कहा जाता है। ये महिलाओं में बहुत आम समस्या बन चुकी हैं। पहले ये समस्या 30 से 45 साल की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती थी, लेकिन अब 20, 22 या 25 साल की लड़कियों में भी फाइब्रॉएड की समस्या सामने आ रही है। जुलाई महीने को फाइब्रॉइड अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस समस्या के बारे में जानना जरूरी है। फाइब्रॉएड गर्भाशय की मांसपेशियों में बनने वाली गैर-कैंसरयुक्त (Non-cancerous) गांठें होती हैं। इन्हें लियोमायोमा (Leiomyoma) भी कहते हैं। ये गांठें आकार में छोटी या बहुत बड़ी हो सकती हैं जैसे तरबूज के बराबर।

क्या फाइब्रॉएड से गर्भधारण में समस्या होती है?

कुछ महिलाओं को फाइब्रॉएड की वजह से गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है लेकिन हर केस में यह जरूरी नहीं। फर्टिलिटी एक्सपर्ट कहती हैं कि ज्यादातर महिलाएं तभी फाइब्रॉएड के बारे में जानती हैं, जब वे प्रेग्नेंसी प्लान कर रही होती हैं। फाइब्रॉएड फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि गांठें गर्भाशय में कहां बनी हैं, उनकी संख्या कितनी है, और वे कितनी बड़ी हैं।

गर्भाशय की गांठें फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करती हैं?

फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना: अगर फाइब्रॉएड फैलोपियन ट्यूब के पास हो, तो यह शुक्राणु और अंडाणु के मिलने में बाधा डालता है, जिससे गर्भधारण में समस्या आती है।

गर्भाशय की आकृति बिगड़ना: कुछ गांठें गर्भाशय की भीतरी परत को दबाकर भ्रूण के सुरक्षित रहने की जगह कम कर देती हैं, जिससे प्रेग्नेंसी मुश्किल होती है।

हार्मोनल असंतुलन: फाइब्रॉएड हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन, जो ओवुलेशन पर असर डालते हैं।

बार-बार मिसकैरेज: कुछ महिलाओं को फाइब्रॉएड की वजह से बार-बार गर्भपात होता है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी असर पड़ता है।

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गर्भाशय में गांठ के लक्षण

पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा खून आना
बिना पीरियड्स के भी खून आना
पेट या पेल्विक में दर्द महसूस होना
बार-बार पेशाब आना
कब्ज या मल त्याग में परेशानी

गर्भाशय में गांठ का पता कैसे चलता है?

अगर आपको अनियमित पीरियड्स या हैवी ब्लीडिंग की समस्या है तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं। गांठ का पता लगाने के लिए ये टेस्ट होते हैं
पेल्विक एग्जामिनेशन: डॉक्टर हाथ से पेट को छूकर गांठ की जांच करते हैं।
अल्ट्रासाउंड (USG): यह सबसे आसान और प्रभावी तरीका है गांठ की पहचान का।
हिस्टेरोस्कोपी और लैप्रोस्कोपी: ये जांचें गांठ की पुष्टि और इलाज दोनों में मदद करती हैं।

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क्या फाइब्रॉएड के साथ प्रेग्नेंसी संभव है?

अगर गांठ छोटी हो और समय पर इलाज हो जाए तो प्रेग्नेंसी पूरी तरह संभव है। फाइब्रॉएड हर महिला की फर्टिलिटी को प्रभावित नहीं करता लेकिन कुछ मामलों में यह बांझपन का कारण बन सकता है। इसलिए यदि प्रेग्नेंसी नहीं हो रही है तो जांच जरूर करवाएं। ज्यादातर फाइब्रॉएड सौम्य (Benign) होते हैं और कैंसर में नहीं बदलते। हालांकि बहुत ही कम मामलों में मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।

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फाइब्रॉएड बनने के कारण

हार्मोन असंतुलन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन)
आनुवंशिक कारण
मोटापा
विटामिन-डी की कमी

क्या हर महिला को फाइब्रॉएड के लक्षण दिखते हैं?

नहीं, कई बार फाइब्रॉएड बिना किसी लक्षण के भी होते हैं। यह रूटीन जांच या अल्ट्रासाउंड में ही पता चलते हैं।

फाइब्रॉएड एक आम समस्या है लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर जांच और सही इलाज से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आप गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं और सफलता नहीं मिल रही है, तो डॉक्टर से मिलकर अपनी स्थिति समझें।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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