Heart Attack Symptoms: बच्चे की Body दें ये संकेत तो बिना देरी डॉक्टर के पास ले जाएं

punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 07:53 PM (IST)

नारी डेस्कः हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के चलते इस समय लोग काफी डरे हुए हैं। चिंता की बात यह है कि अब स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों व यंगस्टर्स को भी साइलेंट अटैक आ रहा है। हाल ही में 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले 12 साल के छात्र को साइलेंट अटैक आया जिसके चलते उसकी जान चली गई।  छोटे व टीएन बच्चे हार्ट अटैक के शिकार क्यों हो रहे हैं। इससे पहले महाराष्ट्र में 14 साल के बच्चे को उस समय हार्ट अटैक आया जब वह स्कूल ट्रिप के दौरान पार्क में था। लेकिन यहां सवाल यह है कि बच्चों को अब हार्ट अटैक क्यों आ रहा है? और क्या हार्ट अटैक आने से पहले बच्चे के शरीर में किसी तरह के संकेत नजर आते हैं जो पेरेंट्स के गौर करने बहुत जरूरी है। 

हृदय रोग विशेषज्ञ कार्डियोलोजिस्ट डॉक्टर के मुताबिक,  अगर बच्चे को घबराहट हो रही है, सांस तेजी से फूल रहा है, पल्स तेजी से बढ़ रही है या फिर बच्चे को चक्कर आ रहे हैं तो उसकी तुरंत मेडिकल जांच कराएं। बच्चों में होने वाली ये परेशानी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट की मानें तो कोविड के बाद बच्चों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से सुनने को मिल रहे हैं।

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बच्चों में दिखने वाले हार्ट अटैक के लक्षण | Heart Attack Symptoms In Children Body

ऐसे बहुत सारे संकेत हैं जो बच्चों के शरीर में देखने को मिल सकते हैं। इन संकेतों को गौर कर पेरेंट्स को तुरंत कदम उठाने की जरूरत रहती हैं। 

1. बच्चे को सीने में भारीपन-दर्द महसूस हो रहा हो तो नजर अंदाज ना करें। फिजिकल एक्टिविटी के दौरान दर्द महसूस हो तो तुरंत डॉक्टरी संपर्क करे क्योंकि कुछ लोग इसे गैस का दर्द समझ कर लापरवाही बरत देते हैं। 

2. हार्ट अटैक होने का कारण, छोटे बच्चों में होंठों के आस-पास नीले निशान होना। बच्चे के होंठ, उंगलियां और त्वचा नीली पड़ रही है ऐसा तब होता है जब दिल सही मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है।

3. बिना किसी कारण के बच्चे को कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना और बेहोशी छाना, दिल की धड़कन बढ़ती है तो यह भी दिल से जुड़ी गंभीर समस्या की तरफ इशारा करता है।

4. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होना या कुछ देर चलते पर ही सांस फूलने लगना। हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने पर ही या सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते ही हांफने लगे।फिजिकल एक्टिविटी के दौरान पसीने से भीग जाता है और उल्टी हो रही है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है।

5. उसे छाती में दर्द, सांस लेने में मुश्किल हो रही हो तो यह हार्ट प्रॉब्लम्स की और इशारा करता है हालांकि ये लक्षण खून की कमी के भी हो सकते है लेकिन चेकअप करवाना जरूरी है। 
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छोटी उम्र में हार्ट अटैक आने के कारण | Heart Attack Causes In Children

छोटी उम्र में हार्ट अटैक आने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। खराब लाइफस्टाइल, तनाव और अनहेल्दी फूड्स। एक्सपर्ट की मानें तो ऐसा होने का कोई एक स्टीक कारण बता पाना मुश्किल है हालांकि इसकी वजह खराब लाइफस्टाइल को माना जा सकता है। बच्चों का खान-पान लगातार खराब व अनहैल्दी होता जा रहा है और फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर है। फिजिकल एक्टिविटी में कमी होने से भी हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है।

मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन क्लासेज में धंसे बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गई है जिसके चलते मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी प्रॉब्लम बचपन में ही चपेट में ले रही हैं और यहीं समस्या हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा रही है। मोटापा की वजह से दिल के रोगों का खतरा अधिक रहता है।

जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड सबसे बड़ी वजह 

खान-पान में वेस्टर्न कल्चर फॉलो होना भी हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा रहा है। जंक, फास्ट और प्रोसेस्ड फूड का सेवन बच्चे अधिक कर रहे हैं। इनमें ट्रांस फैट, बहुत ज्यादा शुगर और नम होता है जो दिल की धमनियों को कमजोर करते हैं और यह हार्ट अटैक जोखिम बढ़ाता है। हार्ट अटैक से बचाव के लिए बच्चों की जीवन शैली और खान-पान पर खास ध्यान देना जरूरी है। नियमित रूप में उनकी डाइट में संतुलित और पोषण आहार शामिल होना जरूरी है। शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम में शामिल करें।

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बच्चों में हार्ट अटैक को कैसे कंट्रोल करें?

पेरेंट्स सबसे पहले तो दिखने वाले लक्षणों को तुरंत समझें और डॉक्टरी जांच करवाएं। बच्चा घबराहट महसूस कर रहा है, चलने में सांस ज्याद फूल रही है तो तुरंत मेडिकल जांच कराएं।
जन्म के समय ही बच्चे के दिल की जांच कराएं।
खान-पान हैल्दी रखें और मोटापा कंट्रोल में रखें।
फिजिकल एक्टिविटी जरूर करवाएं। आउटडोर गेम्स, सैर, योग जैसी एक्टिविटी करवाएं। 
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स्वस्थ हृदय  (Healthy Heart) के लिए बच्चों की डाइट में क्या शामिल करें?

बचपन से ही हृदय को स्वस्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। एक संतुलित आहार न केवल बच्चे के संपूर्ण विकास में सहायक होता है बल्कि हृदय रोगों के जोखिम को भी कम करता है। बच्चों के दिल को मजबूत और सेहतमंद बनाए रखने के लिए उनके आहार में ये चीजें जरूर शामिल करें।

फल और सब्जियां (Fruits & Vegetables)

सेब, संतरा, केला, बेरीज़ – एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं।
गाजर, पालक, ब्रोकली, शिमला मिर्च – इनमें विटामिन C, पोटैशियम और फाइबर होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं।
बच्चों को दिनभर में कम से कम 2-3 तरह के फलों और 3-4 तरह की हरी सब्ज़ियां जरूर खिलाएं।

साबुत अनाज (Whole Grains)

ओट्स, ब्राउन राइस, क्विनोआ, मल्टीग्रेन ब्रेड – इनमें मौजूद फाइबर हृदय को स्वस्थ रखता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
सफेद चावल और मैदे की ब्रेड की जगह, साबुत अनाज का सेवन करवाएं।

प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ (Protein-Rich Foods)

दालें, चना, राजमा, मूंगफली, सोयाबीन – शाकाहारी बच्चों के लिए बेहतरीन प्रोटीन स्रोत।
अंडे, मछली, चिकन – नॉन-वेज खाने वाले बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रदान करते हैं जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं।

हेल्दी फैट्स (Healthy Fats)

बादाम, अखरोट, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज – ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो हृदय के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
ट्रांस फैट से बचने के लिए रिफाइंड ऑयल की जगह इनका उपयोग करें। ऑलिव ऑयल, सरसों का तेल, नारियल तेल खाएं।

डेयरी उत्पाद (Dairy Products)

दूध, दही, पनीर – हड्डियों के लिए कैल्शियम और हृदय स्वास्थ्य के लिए पोटैशियम प्रदान करते हैं।
फुल-फैट डेयरी की जगह लो-फैट डेयरी उत्पाद दें।

पर्याप्त पानी और नैचुरल ड्रिंक्स (Hydration & Natural Drinks)

नारियल पानी, ताजे फलों का रस, छाछ – ये हाइड्रेशन के साथ-साथ पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
बाजार में मिलने वाले मीठे जूस, सॉफ्ट ड्रिंक्स और पैकेज्ड ड्रिंक्स से बचें।

किन चीजों से बचें?

अत्यधिक नमकः प्रोसेस्ड फूड और पैकेज्ड स्नैक्स में अधिक नमक होता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
ज्यादा चीनीः मीठे पेय, चॉकलेट, पेस्ट्री और कैंडीज़ से परहेज करें।
फास्ट फूड और जंक फूडः बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज़, पैकेज्ड चिप्स हृदय के लिए हानिकारक होते हैं।
कोल्ड ड्रिंक्स और कैफीन युक्त ड्रिंकः यह बच्चों के हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

हार्ट अटैक के कुछ और संकेत

छाती, कंधे, जबड़े, हाथ, गर्दन, मध्य-पीठ में भारीपन, जकड़न, दबाव, बेचैनी या दर्द
सांस लेने में तकलीफ, मतली।
ठंडा पसीना आना, चक्कर आना।

दिल की बीमारी के कुछ बड़े अन्य कारण

खराब डाइट, बिगड़ता लाइफ़स्टाइल
तनाव, कई हेल्थ प्रॉब्लम, जन्मजात हृदय दोष
आनुवंशिकी, कुछ मेडिकल प्रॉब्लम्स और कुछ दवाइयां।
धूम्रपान- एल्कोहल और प्रदूषण।


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Content Writer

Vandana

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