लिवर की ये बीमारी हो सकती है साइलेंट किलर, समय रहते पहचानें
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 05:55 PM (IST)

नारी डेस्क: आज के दौर में लिवर से जुड़ी कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से कुछ बीमारियां शुरुआत में बिना किसी स्पष्ट लक्षण के शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में इन्हें “साइलेंट किलर” यानी खामोशी से जानलेवा बीमारी कहा जाता है। लिवर की सबसे खतरनाक साइलेंट किलर बीमारी है फैटी लिवर डिजीज (Fatty Liver Disease) या वसा युक्त यकृत रोग। यह बीमारी बहुत से लोगों में पाई जाती है, लेकिन अक्सर इसके लक्षण शुरुआती दौर में नजर नहीं आते, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
फैटी लिवर डिजीज क्या है?
फैटी लिवर डिजीज में लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक मात्रा में वसा जमा हो जाती है। सामान्य रूप से लिवर में थोड़ी मात्रा में वसा पाई जाती है, लेकिन जब यह मात्रा 5% से अधिक हो जाए तो इसे फैटी लिवर कहते हैं। यह समस्या दो प्रकार की होती है
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) – यह तब होती है जब व्यक्ति शराब नहीं पीता, लेकिन लिवर में वसा जमा हो जाती है। यह अधिकतर मोटापे, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और गलत खान-पान की वजह से होती है।
अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) – यह शराब पीने की वजह से होती है, जब ज्यादा शराब से लिवर की कोशिकाएं प्रभावित हो जाती हैं और उनमें वसा जमा हो जाती है।
फैटी लिवर की वजह से क्या खतरे हैं?
फैटी लिवर डिजीज के कारण लिवर की कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है। लिवर हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी अंग है जो भोजन को पचाने, जहरीले पदार्थों को निकालने, रक्त शुद्ध करने और ऊर्जा पैदा करने का काम करता है। जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर के कई सिस्टम प्रभावित हो जाते हैं। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह सिरोसिस (Cirrhosis) और लिवर फेलियर (Liver Failure) जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है। सिरोसिस में लिवर का ऊतक सख्त और कठोर हो जाता है, जिससे उसका कार्यक्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है। इससे जीवन को गंभीर खतरा हो जाता है।
फैटी लिवर के लक्षण क्या हैं?
शुरुआती दौर में फैटी लिवर के कोई खास लक्षण नजर नहीं आते। यही इसे साइलेंट किलर बनाता है। धीरे-धीरे जैसे-जैसे लिवर प्रभावित होता है, कुछ संकेत दिखने लगते हैं पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में हल्का या भारीपन जैसा दर्द या असहजता। लगातार थकान महसूस होना। वजन बढ़ना या अचानक कम होना। भूख में कमी या अपच जैसी समस्या। कमजोरी महसूस होना। त्वचा या आंखों का पीला पड़ना (जॉन्डिस) – यह तब होता है जब लिवर काफी प्रभावित हो जाता है। यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए।
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फैटी लिवर के कारण क्या हैं?
मोटापा (Obesity): अधिक वजन फैटी लिवर की सबसे बड़ी वजह है।
गलत खान-पान: ज्यादा तैलीय, मीठे और फास्ट फूड का सेवन।
डायबिटीज (मधुमेह): शुगर कंट्रोल न होना।
अल्कोहल का सेवन: शराब पीने से लिवर की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी: बैठकर ज्यादा समय बिताना।
कुछ दवाइयां और टॉक्सिन्स: कुछ दवाइयों का अधिक सेवन भी नुकसान कर सकता है।
फैटी लिवर का इलाज कैसे होता है?
फैटी लिवर का कोई सटीक दवा नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार और सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए।
वजन कम करें: अगर मोटापा है तो वजन कम करना सबसे जरूरी है।
स्वस्थ खान-पान अपनाएं: ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीनयुक्त आहार लें।
अल्कोहल से परहेज करें: शराब पूरी तरह बंद करें।
नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलना या व्यायाम करना जरूरी है।
डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रखें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें।
डॉक्टर से नियमित जांच कराएं: लिवर की स्थिति को जांचना जरूरी होता है।
कैसे बचें फैटी लिवर से?
संतुलित आहार लें और ज्यादा तली-भुनी चीजें, फास्ट फूड, मिठाई और शक्कर से बचें। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं। नियमित व्यायाम करें। वजन पर नियंत्रण रखें। तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें। डॉक्टर की सलाह से नियमित चेकअप कराएं।
फैटी लिवर डिजीज एक ऐसी बीमारी है जो शुरुआत में बिलकुल भी खतरनाक नहीं लगती, लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह धीरे-धीरे आपके लिवर को नुकसान पहुंचाकर जीवन को संकट में डाल सकती है। इसलिए अपने खान-पान और जीवनशैली पर ध्यान दें, नियमित जांच कराएं और यदि किसी प्रकार की असहजता महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते सही कदम उठाना ही इस साइलेंट किलर से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।