इन महिलाओं को बार-बार होती है UTI Infection, लापरवाही बरती तो Kidney को खतरा

punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 09:35 PM (IST)

नारी डेस्कः महिलाओं को होने वाली समस्या यूटीआई एक बेहद आम समस्या है जो बरसाती-उमस वाले मौसम में सबसे ज्यादा होती है। वैसे ये परेशानी महिलाओं की तरह पुरुषों और छोटे बच्चों को भी हो सकती है लेकिन ज्यादा शिकार औरते ही रहती हैं। वह अपने पूरे जीवन काल में कभी ना खभी इस समस्या का शिकार जरूर हो जाती है। इसमें यूटीआई यानि यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जिससे यूरीनरी सिस्टम में इंफेक्शन हो जाता है और ये इंफेक्शन ई-कोलाई बैक्टीरिया से होता है। अगर इसे सही समय पर रोका ना जाए तो यह इंफेक्शन ब्लैडर और किडनी तक पहुंच कर नुकसान पहुंचा सकता है। 

यूटीआई इंफेक्शन के लक्षण

जब यूरिन पास करते हैं तो बहुत जलन होती है, थोड़ा-थोड़ा पर बार बार यूरिन पास करने की इच्छा रहती है। 
प्राइवे के आस-पास जलन और खुजली का एहसास होना।
पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द
यूरीन से बदबू और खून आना।
भूख कम लगती है।
बुखार आने लगता है और ठंड व उल्टी आने जैसा महसूस होता है।
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किन महिलाओं को ये समस्या बहुत जल्दी होती है?

बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें ये समस्या बार-बार होती है जिसका कारण प्राइवेट पार्टी की साफ-सफाई अच्छे से ना करना जैसे इंटरकोर्स या पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई ना रखना। यूरीन को रोके रखने या फिर किडनी स्टोन की समस्या होने पर भी ये इंफेक्शन हो सकता है। डायबिटीक महिलाओं को भी यूटीआई का खतरा ज्यादा रहता है। डायबिटीज की वजह से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती हैं और हाई ब्लड शुगर यूरीन में फैलकर बैक्टीरिया को बढ़ाने का काम करते हैं। जो महिलाएं पानी बहुत कम पीती हैं। चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। 

यौन रूप से सक्रिय महिलाएं 

यौन संबंध बनाते समय बैक्टीरिया यूरीन मार्ग में प्रवेश कर जाते हैं। बार-बार संबंध बनाना, सही हाइजीन न अपनाना, या लुब्रिकेंट्स/कॉन्ट्रासेप्टिव जेल्स का इस्तेमाल जोखिम को बढ़ा सकता है।

2. गर्भवती महिलाएं (Pregnant Women)

गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव और मूत्रमार्ग पर बढ़ता दबाव संक्रमण की संभावना बढ़ाते हैं। मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाता, जिससे बैक्टीरिया पनप सकते हैं।

3. मेनोपॉज़ के बाद की महिलाएं (Postmenopausal Women)

एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण योनि और मूत्रमार्ग की सतह पतली और शुष्क हो जाती है। इससे संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।

4. लंबे समय तक बैठने वाली महिलाएं (Sedentary Lifestyle)

लंबे समय तक बैठकर काम करने से ब्लैडर में यूरिन रुक जाता है, जिससे बैक्टीरिया बढ़ते हैं।

5. बार-बार एंटीबायोटिक लेने वाली महिलाएं

इससे शरीर की नेचुरल बैक्टीरिया बैलेंस बिगड़ता है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया आसानी से पनप सकते हैं।

6. बहुत कम पानी पीने वाली महिलाएं

कम पानी पीने से मूत्र पतला नहीं होता और बैक्टीरिया शरीर में रुके रहते हैं।

7. मूत्र मार्ग में कोई संरचनात्मक समस्या या रुकावट (जैसे पथरी या ब्लैडर की कमजोरी)

इससे यूरिन पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाता और बार-बार संक्रमण होता है।

8. गलत साफ-सफाई की आदतें रखने वाली महिलाएं

पीछे से आगे पोंछना (गलत दिशा में), टॉयलेट के बाद हाथ न धोना या टॉयलेट सीट की साफ-सफाई में लापरवाही संक्रमण को बढ़ावा देती है।

9. डायबिटीज़ या कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिलाएं

इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे शरीर बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाता।

10. बार-बार UTI का इतिहास या जेनेटिक प्रवृत्ति
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कुछ महिलाओं में अनुवांशिक कारणों से यूटीआई बार-बार हो सकता है।

यूटीआई (UTI) यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का इलाज समय रहते किया जाए तो यह आसानी से ठीक हो सकता है। अगर इलाज में देर हो जाए, तो यह संक्रमण मूत्राशय से बढ़कर किडनी तक पहुंच सकता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है। इलाज की बात करें तो बता दें कि यूटीआई बिना दवाइयों के भी सही हो सकता है अगर इंफेक्शन ज्यादा ना बढ़ा हो तो इंफेक्शन ज्यादा होने की स्थिति में एंटी बॉयोटिक दवाइयों का अधिक इस्तेमाल किया जाता है डॉक्टर ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं ताकि तरल पदार्थों के जरिए बैक्टीरिया यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाए। इसके अलावा लिक्विड डाइट जैसे जूस और नारियल पानी का ज्यादा सेवन करें।

डॉक्टर द्वारा किया जाने वाला इलाज (Medical Treatment)

 एंटीबायोटिक दवाएं: डॉक्टर यूरिन टेस्ट के बाद एंटीबायोटिक्स देते हैं, जो बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं। आमतौर पर 3 से 7 दिनों की दवा दी जाती है (जैसे – नाइट्रोफ्यूरेंटॉइन, सिप्रोफ्लॉक्सासिन, नॉरफ्लॉक्सासिन आदि)। दवा को पूरा कोर्स करें, भले ही लक्षण पहले ही खत्म हो जाएं।
दर्द और जलन के लिए: पेशाब में जलन या दर्द के लिए डॉक्टर कुछ pain reliever या urinary alkalizer (जैसे: सिट्राविन) भी दे सकते हैं।
जरूरी जांचें: यूरिन R/M (Routine/Microscopic), यूरिन कल्चर (Urine Culture) – बार-बार संक्रमण की स्थिति में

 2. घरेलू इलाज और देसी उपाय (Home Remedies)

1. नींबू पानी या विटामिन C का सेवन
विटामिन C यूरिन को अम्लीय बनाता है जिससे बैक्टीरिया का विकास रुकता है। नींबू, आंवला, संतरा, टमाटर आदि का सेवन करें। आंवला यूटीआई से राहत दिलाने में मददगार है इसमें विटामिन सी होता है जो बैक्टीरिया को रोकने में मदद करता है। आंवले का जूस पीएं या आंवले का एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लें। क्रैनबेरी और अनानास का एक गिलास जूस जरूर पीएं। यूरिन इंफैक्शन से राहत मिलेगी। आप ब्लूबेरी का सेवन भी कर सकते हैं।

 2. धनिया पानी (Coriander Water)
1 चम्मच धनिया पाउडर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पिएं। यह संक्रमण कम करने में मदद करता है।

3. बेलपत्र और तुलसी का सेवन
आयुर्वेद में ये यूरिन इंफेक्शन के लिए असरदार माने गए हैं। तुलसी के पत्तों का रस या चाय पिएं।

4. दही और छाछ का सेवन
ये अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं।

5. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
दिनभर में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएं। सेब के सिरके का यूज करें। दो चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिलाकर पीएं।
इसमें आप नींबू का जूस और शहद भी मिला सकते हैं। इससे बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकलते हैं।

 6. बार-बार पेशाब करें, रोकें नहीं, मूत्र रोकने से बैक्टीरिया पनपते हैं। जब भी पेशाब आए, तुरंत जाएं।

क्या न करें ?

गर्म मसालेदार खाना, कैफीन, शराब, इनसे जलन बढ़ सकती है।
टाइट कपड़े पहनने से बचें।
प्राइवेट पार्ट की सफाई ठीक से करें, खासकर पीछे से आगे न पोंछें।
यौन संबंध के बाद पेशाब ज़रूर करें।

खाने के अलावा कुछ और चीजें का परहेज करना भी जरूरी है जैसे प्राइवेट पार्ट की साफ सफाई रखें।
कॉटन के अंडरवियर पहनें।
नहाने के लिए बाथ टब का इस्तेमालन करें।
यूरिन को रोक कर ना रखें।

टी ट्री ऑयल की दस बूंदों को नहाने के पानी में मिला दें और इस पानी से प्राइवेट पार्ट की सफाई करें। आप नीम के पानी से भी प्राइवेट पार्ट की सफाई कर सकते हैं। यूटीआई में योगासन और सैर काफी फायदेमंद है। इसके लिए पद्यासन,वज्रासन,भुजंगासन,मत्स्यासन करें। प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्ग और डायबिटीज के मरीजों को यूटीआई होने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।घरेलू नुस्खों से फर्क ना दिखें तो डाक्टरी परामर्श जरूरी है। 
 


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Content Writer

Vandana

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