कंसीव ना होने की 1 वजह बच्चेदानी का पतली लाइनिंग, जानिए इसका इलाज
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2019 - 11:54 AM (IST)
दुनियाभर में कई महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से जूझ रही हैं। यही नहीं, 25-30 आयुवर्ग की महिलाओं में पेट दर्द और गर्भधारण न कर पाने की यही मुख्य वजह भी है। फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेते समय आपने अपने डॉक्टर से बहुत बार सुना होगा कि बच्चेदानी की लाइनिंग (एंडोमेट्रियम लेयर) खराब है, इसमें गांठ है या ये चिपकी हुई है। गर्भाश्यर के अंदर की यह लेयर पीरियड्स से लेकर प्रेगनेंसी में अहम भूमिका निभाती है। इस लेयर का बहुत ज्यादा मोटा या पतला होना अनियमित पीरियड्स, कंसीव करने में परेशानी का कारण बन सकती हैं। यही नहीं, एंडोमेट्रियम वॉल के पतले या मोटे होने से महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर, यूट्रस और ओवेरियन कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
आज हम आपको यही बताएंगे कि ये सब प्रॉब्लम क्या होती है और प्रगनेंसी पर इसका क्या असर पड़ता है...
क्या है बच्चेदानी का लाइनिंग?
बच्चेदानी की अंदर की लेयर को एंडोमेंट्रीयम होती है, जिसे बच्चेदानी की लाइनिंग कहा जाता है। पीरियड्स के समय यह लाइनिंग पूरी तरह शेड हो जाती है और समय बितने के साथ इसकी थिकनेस बढ़ती जाती है। साथ ही इसके ग्लैड्ंस भी बढ़ते हैं और यह खुद को कंसीव करने के लिए तैयार करती हैं। इस दौरान इम्ब्रो इंप्लांट नहीं होता तो पीरिड्स के दौरान यह बाहर निकल जाती है और ये प्रोसेस दोबारा शुरू हो जाता है।
2 तरह की होती है बच्चेदानी की लेयर
-एक लेयर जो यूट्रस कैविटी के अंदर होती है उसे फंक्शन लेयर और जो यूट्रस की दीवार की तरफ होती है उसे बेजिल लेयर कहते हैं। पीरियड्स में शेड हो जाती है और इसकी थिकनेस बढ़ती रहती है। इसके बाद धीरे-धीरे ग्रोथ इसकी शुरू होती है। एस्ट्रोजन के कारण थिकनेस बढ़ती है, जिसके बाद ओवूलेश शुरू होती है। यह पीरियड्स के दौरान शेड हो जाती है।
-दूसरी लेयर, जो यूट्रस की दीवार की तरफ होती है उसे 'ब्रेजल लेयर' कहते हैं। इसकी पीरियड्स के समय शेडिंग नहीं होती है।

आप सोनोग्राफी के जरिए आप इस बात का पता लगा सकती हैं कि इस लेयर का कौन-सा फेस चल रहा है। अब हम आपको बताते हैं कि इसका प्रेगनेंसी पर क्या असर पड़ता है। इस पूरी फेस में मेट्रेशन से लेकर अगले मेट्रेशन का फेस 28 दिन का होता है।
प्रेगनेंसी और पीरियड्स में आती है प्रॉब्लम्स
जिन महिलाओं में एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस 20mm से ज्यादा होती है उन्हें कैंसर का खतरा अधिक होता है। वहीं जिन महिलाओं की में लाइनिंग 14mm से कम होती है उन्हें पीरियड्स व कंसीव करने में दिक्कत आती है। बच्चेदानी की लाइनिंग कम से कम 11 से 15mm तक होनी चाहिए।
बच्चेदानी के पतले या मोटे होने के कारण
. गर्भाश्य में इंफैक्शन
. ब्लड सर्कुलेशन धीमा होना
. एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा होना
. PCOD की समस्या के कारण
. गर्भनिरोधक गोलियों का अदिक सेवन
. सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड के कारण
. एशरमन सिंड्रोम
. हार्मोन्स असंतुलित होना

कैसे करें इलाज?
गर्भाश्य की लेयर किस कारण पतली है उसे देखने के बाद ही इसका इलाज किया जाता है। अगर इसका कारण हार्मोन्स असंतुलित, पीसीओडी या ब्लड फ्लो का धीमा होना है तो उसे योग व डाइट पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है क्योंकि इससे ब्लड फ्लो बढ़ता है। साथ ही महिलाएं हैल्दी लाइफस्टाइल, धूम्रपान-सिगरेट से दूरी, जंक फूड्स से परहेज करें। वहीं अगर इसका कारण कोई बीमारी है उसे सर्जरी करवाने के लिए कहा जाता है।



