तुलसी के पत्ते को चबाने से क्यों रोका जाता हैं? जानें धर्म और विज्ञान से जुड़ी वजहें
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 07:19 PM (IST)
नारी डेस्क : तुलसी की पूजा करने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है। हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र और पूजनीय पौधा माना गया है, वहीं आयुर्वेद में इसे गुणकारी और औषधीय गुणों वाला पौधा कहा गया है। हालांकि, धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टियों से तुलसी के पत्तों को चबाकर खाना वर्जित है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजहें।
धार्मिक कारण
पुराणों में तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इसलिए यह पौधा पवित्र और पूजनीय है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी की प्रत्येक पत्ती में देवी का वास होता है। इसे चबाना देवी का अपमान करने के समान माना जाता है। इसी वजह से पूजा-पाठ में तुलसी की पत्तियों को तोड़कर नहीं चढ़ाया जाता।

वैज्ञानिक कारण
दांतों के लिए हानिकारक: तुलसी की पत्तियों में ‘Mercury’ या मर्क्यूरिक एसिड जैसा तत्व पाया जाता है, जो दांतों की ऊपरी परत (enamel) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकता है।
एसिडिटी का खतरा: तुलसी की पत्तियों की तासीर गरम और हल्की एसिडिक होती है। बार-बार चबाने से मुंह और पेट में एसिडिटी बढ़ सकती है।
टॉक्सिन का जमा होना: तुलसी में बहुत कम मात्रा में आर्सेनिक (Arsenic) मौजूद होता है। ज्यादा मात्रा में चबाने से यह शरीर में टॉक्सिन जमा कर सकता है।

तुलसी का सेवन करने का सही तरीका
आयुर्वेद और विज्ञान के अनुसार तुलसी के पत्तों का सेवन करना लाभकारी है, लेकिन चबाने की बजाय इसे अन्य तरीकों से लेना चाहिए।
पूरा पत्ता निगलना: पत्तियों को पानी के साथ निगला जा सकता है।
चाय या काढ़े में डालना: गुनगुने पानी या चाय में डालकर सेवन करना सुरक्षित है।
शहद और अदरक के साथ: रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तुलसी को शहद और अदरक के रस के साथ लिया जा सकता है।
तुलसी की पत्तियों को चबाना न केवल धार्मिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। सही तरीके से इसका सेवन करना सुरक्षित और लाभकारी है।

