बच्चा बिस्तर गीला करता है तो क्या करें? एक्सपर्ट ने बताया इलाज

punjabkesari.in Saturday, Dec 06, 2025 - 06:16 PM (IST)

नारी डेस्क : छोटी उम्र में बच्चे का दिन या रात में बिस्तर गीला करना आम बात मानी जाती है। लेकिन अगर बच्चा 7–8 साल का हो गया है और फिर भी नींद में पेशाब कर देता है, तो यह माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। अक्सर बच्चे इस वजह से शर्मिंदा भी महसूस करते हैं और उनका आत्मविश्वास भी कम होने लगता है। मेडिकल भाषा में इस समस्या को बेडवेटिंग, नॉक्टर्नल एन्यूरिसिस या नाइटटाइम यूरिन लीकेज कहा जाता है। ऐसे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट  ने एक आसान घरेलू उपाय बताया है, जिसे अपनाकर बच्चे की यह आदत धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।

बच्चा सोते समय पेशाब करता है तो क्या करें?

आचार्य के अनुसार, यदि बच्चा रात में सोते समय बार-बार बिस्तर गीला करता है, तो खजूर (Dates) का सेवन उसके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। खजूर में मौजूद पोषक तत्व मूत्राशय को मजबूत करने में मदद करते हैं और पेशाब पर नियंत्रण बढ़ाते हैं। सही तरीके से और नियमित रूप से खजूर देने से धीरे-धीरे बच्चे की नींद में पेशाब करने की आदत कम हो सकती है।

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बच्चों को कैसे दें खजूर?

रात को सोने से पहले 2 से 3 खजूर दूध में हल्का पकाकर दें।
खजूर को दूध के साथ ही खिलाएं।
नियमित रूप से देने पर बच्चे की बिस्तर गीला करने की आदत में सुधार आने लगता है।

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इसके अलावा एक और तरीका भी बताया गया है

खजूर को कूटकर भुने हुए काले तिल के साथ लड्डू बना लें।
यह लड्डू बच्चे को रोज या एक दिन छोड़कर दें।
तिल और गुड़ के लड्डू भी इस समस्या में लाभकारी माने जाते हैं। इनका सेवन करने से रात में बार-बार पेशाब आने की समस्या कम हो सकती है।

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बच्चे के बिस्तर गीला करने के संभावित कारण

अगर बच्चा 7 साल से ज्यादा उम्र का है और फिर भी यह समस्या बनी हुई है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
मूत्राशय (ब्लैडर) का छोटा होना: बच्चा पेशाब को ज्यादा देर रोक नहीं पाता।
फुल ब्लैडर का अहसास न होना: नींद में बच्चे को यह समझ नहीं आता कि पेशाब लग रही है।
हार्मोनल असंतुलन: कुछ बच्चों में हार्मोन ठीक से काम नहीं करते।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI): पेशाब से जुड़ा इंफेक्शन भी कारण बन सकता है।
डायबिटीज के शुरुआती लक्षण: बार-बार पेशाब आना एक संकेत हो सकता है।
नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी: दिमाग और नसों का तालमेल ठीक न होना।
स्ट्रेस या एंजाइटी: डर, डांट, स्कूल प्रेशर या मानसिक तनाव।

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ध्यान देंने वाली बातें 

अगर घरेलू उपाय अपनाने के बाद भी समस्या लंबे समय तक बनी रहे, या बच्चे को पेशाब करते समय दर्द, जलन, वजन कम होना या ज्यादा प्यास लगती हो, तो बच्चे को डॉक्टर को जरूर दिखाएं। साथ ही बच्चे को डांटें नहीं, शर्मिंदा न करें। प्यार और समझदारी से उसका साथ दें, इससे समस्या जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

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Monika

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