गर्भाशय में रसौली होने पर दिखते हैं ये लक्षण, पहचानकर एेसे करें उपचार

punjabkesari.in Friday, May 18, 2018 - 05:09 PM (IST)

बच्चेदानी में गांठ का इलाज : गलत खानपान और भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण आजकल 10 में से 7 महिलाएं किसी न किसी हैल्थ प्रॉब्लम की शिकार हैं। रसौली भी इसी में एक समस्या है। रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। ये मांस-पेशियां और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं और इनका आकार कुछ भी हो सकता है। इसके कारण बांझपन का खतरा होने की आशंका रहती है। वैसे तो 16 से 50 साल की महिलाएं कभी भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। मगर 30 से 50 साल की महिलाओं में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। आज हम आपको गर्भाशय में रसौली होने के कारण, इसके लक्षण और घरेलू इलाज के बारे में बताएंगे। लक्षणों को पहचान कर घरेलू इलाज कर सकते हैं। 

गर्भाशय में रसौली होने के कारण

1. हार्मोन
2. जैनेटिक
3. गर्भावस्था
4. मोटापा


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रसौली के लक्षण

माहवारी के समय या बीच में ज्यादा रक्तस्राव, जिसमे थक्के शामिल होते हैं।
नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द।
पेशाब बार बार आना।
मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना।
यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना।
मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना।
नाभि के नीचे पेट में दबाव या भारीपन महसूस होना।
प्राइवेट पार्ट से खून आना।
कमजोरी महसूस होना।
प्राइवेट पार्ट से बदबूदार डिस्चार्ज।
पेट में सूजन।
एनीमिया।
कब्ज।
पैरों में दर्द।


रसौली का घरेलू इलाज

 ग्रीन टी
ग्रीन टी पीने से भी गर्भाशय रसौली को दूर किया जा सकता है। इसमें पाएं जाने वाले एपीगेलोकैटेचिन गैलेट (Egihallocatechin gallate) नामक तत्व रसौली की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। रोजना 2 से 3 कप ग्रीन टी पीने से गर्भाशय की रसौली के लक्षणों को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। 
 बरडॉक रूट

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बरडॉक रूट गर्भाशय रसौली को कम करने में मदद करती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं जो  इस समस्या और कैंसर के खतरे को कम करता है।
हल्दी
एंटीबॉयोटिक गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है। यह गर्भाशय रसौली की ग्रोथ को रोक कर कैंसर का खतरा कम करता है। 
आंवला
एक चम्‍मच आंवला पाउडर में एक चम्‍मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट लें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए कुछ महीने इस उपाय को नियमित रूप से करें। 
 सिंहपर्णी

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सिंहपर्णी भी गर्भाशय रसौली का उपचार करने में मददगार है। इसका सेवन करने के लिए 2-3 कप पानी लेकर उसमें सिंहपर्णी की जड़ के पाउडर के तीन चम्‍मच मिलाकर15 मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे हल्‍का ठंडा होने के लिए रख दें। इसे कम से कम 3 महीने के लिए दिन में 3 बार लें। 

 लहसुन
लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी पाएं जाते हैं जो ट्यूमर और गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास को रोक सकती है। लहसुन को खाने से गर्भाशय में रसौली की समस्या नहीं होती।  


 


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Content Writer

Nisha thakur

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