कभी चुड़ैल कहकर घर-गांव से निकाली गई थीं Chutni Devi को मिला पद्मश्री
punjabkesari.in Wednesday, Nov 10, 2021 - 01:34 PM (IST)
राष्ट्रपति कोविंद ने श्रीमती सामाजिक कार्य के लिए छुटनी महतो को पद्मश्री से सम्मानित किया। वह झारखंड के सरायकेला की एक आदिवासी कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अब तक अकेले दम पर 125 महिलाओं को डायन-शिकार से बचाया है। उनकी बहादुरी के कार्यों के लिए, उन्हें "बाघिन" भी कहा जाता है। एक समय ऐसा था कि जब उन्हें गांव से डायन कहकर निकाल दिया गया था। अब वह गांव में ही एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) में बतौर निदेशक कार्यरत है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर कौन है पद्मश्री सम्मान पाने वाली चटनी देवी...
President Kovind presents Padma Shri to Smt. Chhutni Mahato for Social Work. She is a tribal activist from Seraikela, Jharkhand. She has single-handedly saved 125 women from witch-hunting till now. For her acts of bravery, she is also famously called the “Tigress”. pic.twitter.com/uWCyHivWbO
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 9, 2021
मल-मूत्र पिलाया और पेड़ से बांधकर की पिटाई
झारखंड भोलाडीह गांव की रहने वाली 62 साल की चुटनी देवी आज अपनी जैसी कई महिलाओं की ताकत बन चुकी है। वह गांव में ही एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) में बतौर निर्देशक काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि शादी के 16 साल बाद एक तांत्रिक के बहकावे में आकर उनके परिवार व गांव वालों ने उन्हें चुड़ैल मान लिया था। यही नहीं, डायन के नाम पर उन्हें मल-मूत्र पिलाया, पेड़ से बांधकर पिटा और अर्धनग्न कर गांव की गलियों में घटीता गया। उनके पति ने भी उनका साथ नहीं दिया। जब लोग उन्हें मारने की योजना बनाने लगे तब वह अपनी बच्ची को लेकर गांव से भाग गई।
8 महीने तक जंगल में काटे दिन
तब जान बचाने के लिए उन्हें अपने चार बच्चों को लेकर एक पेड़ के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ा। वह करीब 8 महीने तक जंगल पर रही और जो भी रूखा-सूखा मिला उससे अपना व अपने बच्चों का पेट भरा। मगर, फिर वह पुलिस में गांव वालों के खिलाफ केस दर्ज करने गई लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लेकिन वह हारी नहीं और 70 महिलाओं के साथ मिलकर एक संगठन तैयार किया जो इस कलंक के साथ महिलाओं की मदद करता है। अब कोई किसी महिला को चुड़ैल कहकर प्रताडि़त नहीं कर सकता क्योंकि चुटनी देवी की टीम सूचना मिलते ही पूरे लाव-लश्कर के साथ मदद के लिए पहुंच जाती है।
100 से अधिक महिलाओं को दिलाया इंसाफ
उनकी टीम पहले लोगों को समझाने की कोशिश करती हैं लेकिन नहीं मानने पर जेल भिजवाती हैं। वह ऐसे लोगों के खिलाफ ना सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करवाती हैं बल्कि इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाही भी करती हैं। अब तक वह करीब 100 से अधिक महिलाओं की मदद करके उन्हें घर वापिस भेज चुकी हैं। उनका कहना है कि प्रताड़ित महिलाओं के चेहरे पर मुस्काना लाना ही मेरे लिए सम्मान की बात है। यह उन्हीं की हिम्मत है कि आज कोई भी महिलाओं को डायन या भूत-प्रेत कहने से पहले 100 बार सोचता है। इतना ही नहीं, वह बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी जंग लड़ रही है।
ऐसे डायन घोषित कर दी गईं छुटनी
उनकी शादी धनंजय महतो के साथ हुई थी। जब उनकी भाभी गर्भवती थी तब चुटनी देवी ने कहा था कि बेटा होगा लेकिन उन्होंने बेटी को जन्म दिया। एक दिन वह बीमारी हो गई, जिसके बाद गांव वालों ने उन्हें डायन कहना शुरू कर दिया।
PMO से फोन आया तो बोली अभी टाइम नहीं है, 1 घंटे बाद फोन करना
चुटनी बताती हैं कि जब मुझे पद्मश्री पुरस्कार के लिए PMO (प्रधानमंत्री कार्यालय) का फोन आया तो मैंने यह बोलकर फोन काट दिया कि अभी टाइम नहीं है, 1 घंटे बाद फोन करना। ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे मालूम नहीं कि यह अवॉर्ड क्या होता है। जब चुटनी देवी को दोबारा फोन आया तो उन्हें बोला गया कि आपका नाम और फोटो अखबार व टीवी में आएगा। यह सुनने के बाद उनकी टीम व गांव वाले काफी खुश हुए।
मरते दम तक संघर्ष रहेगा जारी
मैंने डायन के नाम पर गहरा जख्म झेला है लेकिन अगर मैं सचमुच चुड़ैल होती तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती। मगर, ऐसा कुछ होता नहीं है। ओझा के कहने पर जो जुल्म गांव वालों ने मुझपर किए सभ्य समाज उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। यहां तक कि पुलिस प्रशासन ने भी ऐसे लोगों का साथ दिया लेकिन मैं उस असभ्य समाज के खिलाफ लोहा लेने के लिए तैयार हूं और मरते दम तक मेरी संघर्ष चलता रहेगा।
वाकई, नारी को सम्मान दिलाने और ऐसा कलंक और उत्पीडन से बचाने के लिए जो पहल चुटनी देवी ने की है, उससे उनका नाम इतिहास में दर्ज हो चुका है।