128 साल के योग गुरु पद्मश्री स्वामी शिवानंद बाबा का निधन, काशी में हुआ अंतिम संस्कार
punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 02:21 PM (IST)

नारी डेस्क: काशी नगरी से एक भावुक करने वाली खबर सामने आई है। योग और आध्यात्म के प्रतीक माने जाने वाले पद्मश्री सम्मानित स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार देर रात 128 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी तबीयत कुछ समय से खराब चल रही थी, जिसके बाद उन्हें बीएचयू के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार को हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
स्वामी शिवानंद बाबा को साल 2022 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था, और वह यह सम्मान पाने वाले देश के सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक योग, आयुर्वेद और अध्यात्म को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाए रखा। उनका जीवन इस बात का प्रमाण था कि सादा जीवन, नियमित योग और संयमित दिनचर्या ही लंबी उम्र और शांति का रास्ता है।
योग और साधना से जुड़ा रहा जीवन
स्वामी शिवानंद बाबा काशी के दुर्गाकुंड इलाके के कबीरनगर स्थित आश्रम में रहते थे। उनके साथ कुछ शिष्य भी रहते थे, जो उनकी सेवा और साधना में लगे रहते थे। बाबा का दिन सुबह जल्दी उठने से शुरू होता था, जिसमें वे नियमित रूप से योगासन, प्राणायाम और गीता पाठ करते थे। साथ ही वे मां चंडी की स्तुति और आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करते थे।
इतनी लंबी उम्र में भी बाबा की दिनचर्या अनुशासित और सक्रिय बनी रही। उनका कहना था कि संयमित जीवन, भक्ति और योग ही दीर्घायु और स्वास्थ्य का मूल है।
गरीबी से तपस्वी जीवन तक का सफर
स्वामी शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को बंगाल के श्रीहट्टी जिले में एक अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता भीख मांगकर गुज़ारा करते थे। कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़े शिवानंद बाबा ने 1977 में वृंदावन में आश्रम की दीक्षा ली, जहां वे दो साल रहे। इसके बाद 1979 में काशी में स्थायी रूप से वास करना शुरू किया और अपने जीवन के अंतिम दिन तक वहीं साधना में लीन रहे।
योग के ज़रिए बनी अंतरराष्ट्रीय पहचान
योग और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में शिवानंद बाबा ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल काशी में हजारों लोगों को योग की शिक्षा दी, बल्कि उनकी ख्याति विदेशों तक भी फैली। बाबा को जानने वाले उन्हें चलते-फिरते "योग और संयम के जीवंत उदाहरण" के रूप में याद करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरित होकर किया पहला मतदान
स्वामी शिवानंद बाबा ने वर्ष 2017 में पहली बार मतदान किया था, जब वे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित हुए। यह बात भी उनके जीवन की विशेषता बन गई कि इतनी उम्र में भी उन्होंने नागरिक जिम्मेदारी निभाई और वोट डालने पहुंचे।
काशी में शोक की लहर
उनके निधन की खबर फैलते ही काशी में शोक की लहर दौड़ गई। हजारों श्रद्धालु उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। भक्तों ने बाबा को श्रद्धा और सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। उनकी सादगी, योग के प्रति समर्पण और आध्यात्मिक जीवन शैली को लोग लंबे समय तक याद रखेंगे।