कैंची धाम नहीं जा पा रहे हैं? घर बैठे नीम करौली बाबा के पास लगाए अर्जी, हर इच्छा होगी पूरी
punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 12:26 PM (IST)

नारी डेस्क: अगर आप किसी कारणवश कैंची धाम नहीं जा पा रहे हैं या नीम करोली बाबा (महाराज जी) के प्रत्यक्ष दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो आपको चिंतित होने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। आज हम आपको एक ऐसा आसान उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आप घर बैठे ही अपनी बात महाराज जी तक पहुंचा सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि महाराज जी का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे जरूरी है सच्ची श्रद्धा और भक्ति। यदि आपके मन में सच्चा प्रेम और विश्वास है तो महाराज जी तक आपकी बात जरूर पहुंचेगी।
घर बैठे कैसे लगाएं अपनी अर्जी?
महाराज जी की फोटो या मूर्ति के सामने बैठें: अपने घर में अगर महाराज जी की कोई फोटो या मूर्ति है, तो उसके सामने साफ मन और शांति से बैठ जाएं।
दिल से करें प्रार्थना: जैसे हम अपने माता-पिता से दिल की बात करते हैं, वैसे ही पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से महाराज जी से अपनी बात कहें। उनसे अपनी इच्छाएं, दुख, परेशानी या धन्यवाद – जो भी मन में हो दिल से कहिए।
कोई विशेष विधि की जरूरत नहीं: इस उपाय को करने के लिए आपको किसी जटिल पूजा-पाठ या विशेष मंत्र की आवश्यकता नहीं है। बस सच्चे मन से महाराज जी का ध्यान करें, और जो कुछ कहना चाहते हैं, वह भावपूर्वक कहें।
उन्हें सौंप दें अपना विश्वास: इसके बाद बाकी सब कुछ महाराज जी पर छोड़ दें। विश्वास रखें कि उन्होंने आपकी अर्जी सुन ली है, और जो भी आपके लिए उचित होगा, वह आपको जरूर मिलेगा।
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क्या कहती है मान्यता?
भक्तों का कहना है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से नीम करोली बाबा के दरबार में अपनी अर्जी लगाता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। महाराज जी अपने भक्तों के दिल की बात बिना कहे भी समझ जाते हैं। वो हर किसी की सुनते हैं चाहे आप कैंची धाम में हों या अपने घर में।
नीम करोली बाबा कौन थे?
नीम करोली बाबा जो अपने भक्तों के बीच “महाराज जी” के नाम से प्रसिद्ध हैं भगवान हनुमान जी के परम भक्त थे। उनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था और उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बात है 1958 की, जब बाबा जी जिन्हें उस समय लोग बाबा लक्ष्मण दास के नाम से जानते थे बिना टिकट ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। जब ट्रेन उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के नीम करोली गांव पहुंची, तो उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया।
क्या हुआ जब बाबा को ट्रेन से उतारा गया?
बाबा के उतरते ही ट्रेन का इंजन बंद हो गया। इंजन को चालू करने के कई प्रयास किए गए लेकिन ट्रेन नहीं चली। तब किसी ने सुझाव दिया कि बाबा को दोबारा ट्रेन में बैठाया जाए। रेलवे अधिकारी राज़ी हुए और बाबा से माफी मांग कर उन्हें फिर से ट्रेन में बैठने को कहा। पर बाबा जी ने ट्रेन में बैठने से पहले दो शर्तें रखीं नीम करोली गांव में एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए जिससे गांव के लोगों को सुविधा मिल सके। रेलवे कर्मचारी साधुओं और संतों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें। जब अधिकारियों ने ये शर्तें मान लीं तो बाबा मुस्कुराए और बोले,“भला, मेरे बैठने से ट्रेन को क्या फर्क पड़ता है?”
लेकिन जैसे ही बाबा ट्रेन में चढ़े, इंजन तुरंत चालू हो गया। बाद में, बाबा की बात अनुसार रेलवे स्टेशन भी बना। तभी से मिला नाम “नीम करोली बाबा” इस चमत्कार के बाद, गांव के लोग उन्हें आदर और प्रेम से 'नीम करोली बाबा' कहने लगे। धीरे-धीरे उनकी ख्याति फैलती गई और वे विश्वभर में प्रसिद्ध संत बन गए।
नीम करोली बाबा कहते थे,"भक्ति में ही शक्ति है।" अगर आप सच्चे मन से उन्हें याद करते हैं तो वो हर हाल में आपकी सुनते हैं चाहे आप कितनी भी दूर क्यों न हों।