सिंधु के पानी के लिए गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, खत लिखकर भारत से लगाई रहम की गुहार
punjabkesari.in Wednesday, May 14, 2025 - 06:30 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत की गई सख्त कार्रवाई और सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। पाकिस्तान ने दुनिया के कई देशों के सामने हाथ जोड़कर अपील की लेकिन जब कहीं से राहत नहीं मिली तो अब वह भारत से ही संधि को बहाल करने की गुहार लगाने लगा है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत को इस मामले में औपचारिक पत्र लिखा है और भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। पाकिस्तान का कहना है कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को बहाल नहीं किया तो पाकिस्तान में जल संकट बहुत बड़ा रूप ले सकता है जिससे आम जनता बुरी तरह प्रभावित होगी।
भारत ने दिखाई सख्ती, नहीं मानी पाकिस्तान की अपील
भारत सरकार ने पाकिस्तान की अपील को ठुकरा दिया है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान की किसी भी दलील पर कोई हमदर्दी नहीं दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में साफ कहा था कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।"
पीएम मोदी के इस बयान ने यह साफ कर दिया कि भारत सरकार का रुख पूरी तरह से सख्त है। अब भारत आतंकवाद, बातचीत, व्यापार और पानी के मसलों को एक साथ नहीं चलने देगा।
आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा,"जिस तरह पाकिस्तानी सेना और सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है, वह एक दिन खुद पाकिस्तान को तबाह कर देगी। अगर पाकिस्तान को खुद को बचाना है तो उसे अपने आतंकी ढांचे को खत्म करना होगा। शांति का कोई और रास्ता नहीं है।" इस बयान ने भारत की नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया कि अब भारत सिर्फ बातों से जवाब नहीं देगा बल्कि व्यावहारिक कदम उठाएगा।
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भारत अब खुद इस्तेमाल करेगा अपनी नदियों का पानी
भारत सरकार अब सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का अपने लिए उपयोग करने की योजना पर काम कर रही है। इस पर तुरंत काम शुरू कर दिया गया है और इसके अलावा मध्यकालीन और दीर्घकालीन योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। इन योजनाओं के ज़रिए भारत अपने कृषि, बिजली और घरेलू जल आपूर्ति के लिए इस पानी का इस्तेमाल करेगा, जो पहले संधि के तहत पाकिस्तान को मिलता था।
आतंकी हमले के बाद भारत ने उठाया कड़ा कदम
22 अप्रैल को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 सैलानियों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए सबसे पहले सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। इस कदम से पाकिस्तान में जल संकट गहराता जा रहा है, और अब वह खुद भारत से संधि बहाल करने की विनती कर रहा है।
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इस संधि के तहत छह नदियों सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलज का जल भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित किया गया था। इस समझौते के अनुसार, पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान को मिलता था। जबकि पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पानी भारत के हिस्से में आता था। अब भारत इस समझौते को स्थगित कर अपने हिस्से की पश्चिमी नदियों के जल का भी स्वयं उपयोग करने की दिशा में बढ़ रहा है।
भारत ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि अब सिर्फ बातचीत से काम नहीं चलेगा। अगर पाकिस्तान को अपने हालात सुधारने हैं तो उसे आतंकवाद को समर्थन देना बंद करना होगा। वरना भारत अपने कानूनी और जल संसाधनों से जुड़े सभी अधिकारों का पूरी तरह इस्तेमाल करेगा।