सिनेमा का सबसे बड़ा अवॉर्ड पाने वाली आशा पारेख को ये कहकर कर दिया था Reject
punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 01:17 PM (IST)
गुजरे जमाने की बहुत सी अभिनेत्रियां हैं जिन्हें आज भी लोग वैसे ही प्यार देते हैं जैसे उनके जमाने में दिया करते थे। उनकी खूबसूरती और अदाकारी के लोग आज भी फैंस हैं। उन्हीं में से रही हैं आशा पारेख जिन्होंने लंबा समय इंडस्ट्री पर राज किया और इन दिनों वह फिर से लाइमलाइट में बनी हुई हैं। दरअसल, आशा पारेख को सिनेमा जगत का सबसे बड़ा दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने जा रहा है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार है और ऐसा 37 साल बाद हुआ है जब किसी फिल्म अभिनेत्री को भारत सरकार ये सम्मान दे रही है। इससे पहले साल 1983 के लिए अभिनेत्री दुर्गा खोटे को यह सम्मान मिला था और उसके बाद पुरुषों का ही इस पर अधिकार रहा हालांकि एक समय ऐसा था जब किसी ने आशा जी को कहा था कि वह हीरोइन नहीं बन सकती। चलिए आपको आज आशा पारेख की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से बताते हैं।
10 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की करियर की शुरुआत
2 अक्तूबर को जन्मी आशा पारेख महज 10 साल की थी जब उन्होंने फिल्म “आसमान” से बतौर चाइल्ट आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत कर ली थी हालांकि फिल्म चली नहीं तो आशा फिर पढ़ाई में बिजी हो गई थी। उसके बाद 16 की उम्र में उन्होंने फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' से हीरोइन के तौर पर डेब्यू करना चाहा लेकिन उन्हें यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया कि वह स्टार मटीरियल नहीं हैं लेकिन नासिर हुसैन ने उन्हें उसी साल फिल्म 'दिल देके देखो' में साइन किया और फिल्म सुपरहिट रही। इसके बाद आशा पारेख ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसके बाद नासिर हुसैन साहब के साथ ही उनकी 6 फिल्में आई और सभी हिट रही। आशा और नासिर के बीच एक खास बॉन्ड भी बन गया।
चलिए अब उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में बताते हैं। ऐसी लाइफ जिसमें लाखों चाहने वाले होने के बावजूद आशा एकदम अकेली पड़ गई थी। 2 अक्तूबर 1942 को गुजराती परिवार में जन्मी आशा अपने मां बाप की इकलौती संतान रही हैं। उनकी मां सुधा उर्फ सलमा एक बोहरा मुस्लिम थीं और पिता बचूभाई पारेख, हिंदू गुजराती थे। हालांकि बचपन में वह डॉक्टर बनने का सपना देखती थी और डांस की भी शौकीन थी। उनके इसी शौक को पूरा करने के लिए उनके पिता ने उन्हें पंडित बंसीलाल भारती से शास्त्रीय नृत्य कला की ट्रेनिंग दिलाई। बस डांस में ट्रेन हुई आशा बचपन में ही स्टेज शो करने लगी थी वहीं से मशहूर डायरेक्टर बिमल रॉय की नजर उन पर पड़ी थी।
सबकुछ होते हुए भी आशा पारेख अकेली थी क्योंकि उन्होंने जीवन भर शादी नहीं की आशा ने सच्चे दिल से नासिर साहब से ही मोहब्बत की लेकिन उनसे कभी शादी करने का नहीं सोचा क्योंकि नासिर हुसैन पहले से ही शादी-शुदा थे और आशा किसी का बसा बसाया घर बर्बाद नहीं करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ताउम्र ऐसे ही कुंवारे रहने का ही फैसला किया
एक इंटरव्यू के दौरान शादी से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा था-
‘मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय है सिंगल रहना। मैं एक शादीशुदा आदमी से प्यार करती थी लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि मैं कोई घर तोड़ने वाली औरत बनूं तो मेरे पास एक यही चॉइस थी कि मैं सिंगल रहूं और मैंने अपनी पूरी जिंदगी ऐसे ही गुज़ारी है।’
हालांकि आशा एक बच्चे को जरूर गोद लेना चाहा था लेकिन उनका वो सपना भी अधूरा रह गया दरअसल, जिस बच्चे को वह गोद लेना चाहती थी, वह कई बीमारियों से ग्रस्त था इसलिए डाक्टरों ने उन्हें इसकी अनुमति देने से मना कर दिया था लेकिन पर्सनल लाइफ में आशा पारेख एक समय इतना दुखी हो गई थी कि जीना नहीं चाहती थी। दरअसल, माता-पिता के देहांत के बाद वह अकेली पड़ गई थीं लेकिन उन्हें खुद को संभाला।
फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
फिलहाल आशा जी अपनी डांस एकेडमी कारा भवन व अपने नाम पर मुंबई में बने अस्पताल चलाने में व्यस्त रहती हैं। वहीं अपनी बेस्ट फ्रैंड वहीदा रहमान और हैलेन के साथ वक्त भी गुजारती हैं। उन्हें अक्सर रिएलिटी शो में भी देखा जाता है। उनके पास पैसे की भी कमी नहीं है उनकी कमाई 23.5 मिलियन डॉलर बताई जाती है। इसके अलावा उनके पास कई महंगी गाड़ी सहित मुंबई में आलीशान घर भी हैं। फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए उनको फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। उन्होंने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर भी बिना तनख्वाह के लिए अपनी सेवाएं दीं। 1992 में भारत सरकार ने सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया।