इस गांव में बूंद-बूंद पानी को तरसे लोग, गड्ढों का गंदा पानी पीने को मजबूर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 29, 2025 - 04:16 PM (IST)

नारी डेस्क: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का जोगियानी गांव आज भी बुनियादी सुविधा जैसे पीने के पानी से वंचित है। यहां के लोग, खासकर गोंड और बैगा जनजाति के आदिवासी, कई सालों से पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गांव में न कोई हैंडपंप है, न ही कुआं या अन्य कोई साफ पानी का स्रोत।

गड्ढों से पानी निकाल कर बुझाते हैं प्यास

जोगियानी गांव की आबादी लगभग 150 लोगों की है। यहां हर दिन महिलाएं, पुरुष और बच्चे खाली बर्तन लेकर घर से निकलते हैं और करीब 1 किलोमीटर दूर एक गड्ढे तक पहुंचते हैं। यही गड्ढा उनका एकमात्र "जलस्रोत" है। लोग रस्सी और बाल्टी की मदद से गंदा, कीचड़ भरा पानी निकालते हैं और उसी से पीने, नहाने और खाना बनाने जैसे सारे जरूरी काम करते हैं।

 गंदे पानी से सेहत पर मंडरा रहा खतरा

इस दूषित पानी को पीने से गांव के कई लोग बीमारियों का शिकार हो चुके हैं, लेकिन मजबूरी में इसी पानी से काम चलाना पड़ता है। गांव में न तो हैंडपंप लगे हैं, न ही जल योजना के तहत कोई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

सड़कें नहीं, विकास नहीं

सिर्फ पानी की ही नहीं, जोगियानी गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है। खेतों और पगडंडियों के सहारे लोग किसी तरह बाहर आते-जाते हैं। यह गांव, सिंगरौली के बैढ़न ब्लॉक में स्थित है और जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है। लेकिन विकास आज भी यहां तक नहीं पहुंच पाया।

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सरकारी दावों की खुलती पोल

एक तरफ सरकार और मुख्यमंत्री मोहन यादव यह दावा कर रहे हैं कि प्रदेश को जल संकट से मुक्त किया जाएगा और हर घर को साफ पानी मिलेगा, वहीं जोगियानी गांव की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। यहां के हालात सरकार की योजनाओं और सिस्टम की नाकामी को उजागर करते हैं।

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 ग्रामीणों की कई बार की फरियाद, सिर्फ मिले आश्वासन

गांव के लोगों ने कई बार जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं, लेकिन बाद में उनकी समस्याओं को कोई नहीं सुनता।

 कब मिलेगा समाधान?

जोगियानी गांव की यह स्थिति केवल एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के कई दूर-दराज इलाकों की तस्वीर है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन ऐसे गांवों की समस्याओं को गंभीरता से ले पाएंगे? और अगर नहीं, तो क्या देश के सबसे ज़रूरी संसाधन — "पानी" — से वंचित लोग ऐसे ही जीते रहेंगे?

जोगियानी जैसे गांवों की हालत यह दिखाती है कि विकास की रोशनी अभी बहुत से गांवों तक नहीं पहुंची है। पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत के लिए लोग आज भी तरस रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ घोषणा न करे, बल्कि जमीन पर ठोस कदम उठाए — ताकि हर नागरिक को उसका मूल अधिकार – साफ पीने का पानी – मिल सके।  


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Content Editor

Priya Yadav

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