चेहरे पर ये फर्क दिखें तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं, Facial Paralysis होने की निशानियां

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 02:53 PM (IST)

नारी डेस्कः फेशियल पेरालिसिस (Facial Paralysis) के मामले भी दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं और हर उम्र के लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इसे आम भाषा में चेहरे का लकवा, चेहरे का पक्षाघात भी कहते हैं जबकि डॉक्टरी भाषा में बेल्स पाल्सी और फेशियल पाल्सी भी कहते हैं। चेहरे के पक्षाघात का अर्थ है कि व्यक्ति चेहरे के एक या दोनों तरफ की कुछ या सभी मांसपेशियों को हिलाने में सक्षम नहीं है। फेशियल पेरालिसिस में अचानक चेहरे की एक तरफ की मांसपेशियां सख्त हो जाती है और व्यक्ति के चेहरे का एक हिस्सा हिलना या रिएक्ट करना बंद कर देते हैं क्योंकि इनमें लकवा मार जाता है। अगर समस्या अधिक हो गई हो तो प्रभावित हुए हिस्से पर मुस्कुराने या आंखें बंद करने में भी परेशानी आ सकती है। मांसपेशियों में आई कमजोरी लार, आंसू उत्पादन और स्वाद की भावना को भी प्रभावित कर सकती है। 

फेशियल पेरालिसिस की स्थिति 16 से 60 वर्ष के लोगों में होना ज्यादा आम है। हर साल 5000 में से एक व्यक्ति बेल्स पाल्सी से ग्रसित होता है। यह समस्या है तो चिंताजनक लेकिन  कुछ हफ्तों के भीतर सुधार होना शुरू हो जाता है लेकिन ज्यादातर लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में बेल्स पाल्सी अस्थाई होती है और लगभग 6 महीने में ठीक हो जाती है।
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फेशियल पेरालिसिस होने के लक्षण

चेहरे की नसें पलक झपकना, आंखें खोलना, बंद करना, मुस्कुराना, लार आने को नियंत्रित करती हैं। जब इन नसों को किसी तरह की क्षति पहुंचती है तो इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे: 
चेहरे के एक तरफ अचानक सुन्नपन, खिंचाव या कमजोरी महसूस होना।
मुंह के एक तरफ से लार टपकना।
आइब्रो को सिकोड़ ना पाना।
गालों को फूलाने में दिक्कत होना।
आंख बंद करने में परेशानी या पलकें झुकी रहना। 
दोनों तरफ एक जैसी स्माइल ना होना।
आंखों में जलन होना या पानी निकलना। 
आंख से पैदा होने वाले आंसूओं की मात्रा में बदलाव
चेहरे के भावों में कठिनाई आना।
प्रभावित हिस्से पर कान के पीछे दर्द।

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​चेहरे का लकवा किस कारण से होता है?

बेल्स पाल्सी तब होती है जब सांतवी कपाल तंत्रिका सूज जाती है, जिससे चेहरे पर कमजोरी का एहसास होता है। यदि चेहरे की नस में सूजन आ गई है तो चीकबोन्स पर आकर दब जाएगी। यह तंत्रिका की प्रोटेक्टिव कवरिंग को नुकसान पहुंचाती है जब यह कवरिंग डैमज होती है तो मास्तिष्क से चेहरे की मांसपेशियों तक जाने वाले सिग्नल ठीक से संचरित नहीं हो पाते जिससे चेहरे की मांसपेशियों में लकवा मार
जाता है।
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फेशियल पेरालिसिस होने के अन्य कारण 

फेशियल पेरालिसिस होने का सटीक कारण तो स्पष्ट नहीं है लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के रिसर्चर्स के मुताबिक, ऐसा तब होता है जब एक वायरस तंत्रिका को उत्तेजित करता है। बेल्स पाल्सी में जुड़े वायरस में हर्पीस, चिकन पॉक्स व दाद वायरस, जननांग दाद वायरस, एपस्टीन बार वायरस, साइटोमेगालो वायरस , इंफ्लूएंजा बी और कॉक्ससैकी जैसे वायरस शामिल हैं। वहीं इसका मुख्य कारण, चेहरे की मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका में सूजन को माना जाता है। जब चेहरे की तंत्रिका में क्षति या किसी तरह सूजन आती जो मस्तिष्क से चेहरे की मांसपेशियों तक संकेत पहुंचाती है।

मस्तिष्क के उस क्षेत्र को क्षति पहुँचना जो चेहरे की मांसपेशियों को संकेत भेजता है।

चेहरे की मांसपेशियों की कमजोरी आने से ऐसा हो सकता है। मायस्थीनिया ग्रेविस या कुछ मायोपैथी और मांसपेशीय दुर्विकास जैसे तंत्रिका संबंधी रोगों में ऐसा हो सकता है। 

मस्तिष्क ट्यूमर के कारण होने वाले फेशियल पेरालिसिस भी आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, दौरे या सुनने की क्षमता में कमी शामिल हो सकती है।

इसके अलावा फेशियल पैरालिसिस होने के अन्य कई फैक्टर्स भी हो सकते हैं जैसेः

स्ट्रोक के कारण चेहरे पर लकवा हो सकता है। इसके चलते एक तरफ की मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं।
नवजात शिशुओं में भी यह समस्या हो सकती है जो जन्म के दौरान आघात के कारण हो सकता है।
मस्तिष्क या आस-पास के ऊतकों में इंफेक्शन
ट्यूमर जो चेहरे की तंत्रिका पर दबाव डालता है।
बोटुलिनम टॉक्सिन जैसी दवाओं के दुष्प्रभाव।
लाइम की बीमारी या सारकॉइडोसिस।
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फेशियल पेरालिसिस का इलाज

​फेस मसल्स में कमजोरी कितनी हैं इसकी सीमा तय करने के लिए डॉक्टरी जांच जरूरी है। डॉक्टर पहले फिजिकल टेस्ट करेगा। इसी के साथ वह अन्य कई तरह के टेस्ट करा सकता है।

बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन के लिए ब्लड टेस्ट

चेहरे की नसों की जांच के लिए एमआरआई या सिटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट करवा सकते हैं।
डायबिटीज व अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के लिए ब्लड टेस्ट करवा जाते हैं।
इस दौरान डॉक्टर एक इलेक्ट्रोमोग्राफी टेस्ट के लिए भी कहता है। इसमें मसल्स में बहुत पतले तार इलेक्ट्रोड डाले जाते हैं ताकि यह पता चल सके कि मांसपेशियों को कंट्रोल करने वाली नसों को कोई नुकसान हुआ है या नहीं।

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​फेशियल पेरालिसिस (बेल्स पाल्सी) का इलाज

ज्यादातर मामलों में 1 से 2 महीने में यह समस्या ठीक हो जाती है लेकिन जिन लोगों की नस गंभीर रूप से डैमेज होती हैं उन्हें आगे इलाज की जरूरत रहती है।  प्रेडनिसोलोन नाम के हार्मोन के साथ उपचार करने से रिकवरी बहुत जल्दी होती है। जामा ऑटोलैरिंगोलॉजी हैड एंड नेक सर्जरी के जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, प्रेडनिसोलोन अगर शुरूआती 72 घंटों के भीतर दिया जाए  तो 12 महीनों के बाद लक्षणों की गंभीरता को कम किया जा सकता है।

डॉक्टर सूजन कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं लिख सकता है।
अगर समस्या बेल्स पाल्सी के कारण बनी है तो डॉक्टर एंटीबैक्टीरियल या एंटीवायरल दवा दे सकता है।
इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन हल्के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं।
डॉक्टर प्रभावित आंख के लिए आई ड्रॉप दे सकता है।ट

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घर पर कैसे केयर करें?

डॉक्टर्स की बताई दवाइयों और एक्सरसाइज का पालन करें। 
अगर आंख पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती है, तो कॉर्निया को प्रिस्क्रिप्शन आई ड्रॉप या जेल से सूखने से बचाना चाहिए। इसी के साथ कभी-कभी आंख की सुरक्षा के लिए आई पैच की जरूरत होती है। प्रभावित आंखों को अच्छी तरह से चिकनाई देने के लिए आई ड्रॉप डालें।
शारीरिक और वाणी चिकित्सा से मदद मिल सकती है।

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

अगर आपके चेहरे पर कमज़ोरी या सुन्नपन है तो बिना देरी अपने डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते समस्या को पकड़ा जा सकें। 

ध्यान में रखने वाली बात 

बेल्स पाल्सी आमतौर पर एक अस्थाई स्थिति है। लेकिन इसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है। यदि आप किसी भी प्रकार के लकवे का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, क्योंकि हो सकता है आपको स्ट्रोक हो। बेल्स पाल्सी स्ट्रोक के कारण नहीं होती, लेकिन लक्षण लगभग स्ट्रोक जैसे ही होते हैं। इसलिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर चेहरे से जुड़े कोई भी लक्षण दिखे तो देर ना करते हुए चिकित्सक परामर्श लें। 
 


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Content Writer

Vandana

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