Encyclopedia of Forest: नंगे पांव पद्मश्री लेने पहुंची तुलसी अम्मा, PM मोदी ने किया नमन
punjabkesari.in Tuesday, Nov 09, 2021 - 03:35 PM (IST)
सोमवार को साल 2020 के पद्मश्री लिस्ट में शामिल हस्तियों को अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खुद अपने हाथों से 114 लोगों को पद्म अवॉर्ड से नवाजा। इसमें एक नाम तुलसी गौड़ा का भी था, जो नंगे पांव पद्मश्री (भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) लेने के लिए पहुंची। उन्हें देख पीएम नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह भी उनके फैन हो गए और उन्हें नमन किया।
कौन है तुलसी गौड़ा?
कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा, ‘जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया’ के रूप में फेमस हैं। वह पारंपरिक पोशाक में नंगे पांव पद्मश्री अवॉर्ड लेने पहुंची, जिसे देख हर कोई उनका फैन हो गया। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग पर्यावरण सुरक्षा में उनके योगदान की सहारना कर रहे हैं।
जड़ी-बूटियों का अद्भुत ज्ञान
कर्नाटक में हलक्की स्वदेशी जनजाति से ताल्लुक रखने वाली तुलसी गौड़ा एक गरीब और वंचित परिवार में पली-बढ़ीं हैं। उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की लेकिन फिर भी, आज उन्हें 'वन का विश्वकोश' के रूप में जाना जाता है। 74 वर्षीय तुलसी गौड़ा के लिए पौधे बच्चों के समान हैं। वह अच्छी तरह से समझती है कि छोटी झाड़ियों से लेकर ऊंचे पेड़ों तक पौधों की देखभाल कैसे की जाती है। वह कभी स्कूल नहीं गई लेकिन इस कला को समझने के लिए कई राज्यों के युवा उनसे मिलने आते हैं। पेड़ और जड़ी-बूटियां प्रजातियों की प्रजातियों के बारे में उनका ज्ञान विशेषज्ञों से भी अधिक है। उम्र के इस पड़ाव पर भी हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण को बचाने का उनका अभियान जारी है।
President Kovind presents Padma Shri to Smt Tulsi Gowda for Social Work. She is an environmentalist from Karnataka who has planted more than 30,000 saplings and has been involved in environmental conservation activities for the past six decades. pic.twitter.com/uWZWPld6MV
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 8, 2021
वन विभाग में भी कर चुकी हैं नौकरी
12 साल की उम्र से उन्होंने हजारों पेड़ लगाए और उनका पालन-पोषण किया। तुलसी गौड़ा एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वन विभाग में भी शामिल हुईं, जहां उन्हें प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पण के लिए पहचाना गया। धीरे-धीरे उन्होंने जंगलों में कटहल, अंजीर और अन्य बड़े पेड़ लगाना शुरू किया। वन विभाग के अधिकारी उनके काम से हैरान थे क्योंकि उनका लगाया एक भी पौधा सूखा नहीं। पौधों के बारे में उनके ज्ञान ने अधिकारियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। बाद में उन्हें विभाग में स्थाई नौकरी की पेशकश की गई, जहां उन्होंने लगातार 14 साल काम किया।
लगा चुकी हैं 1 लाख से अधिक पौधे
आज 72 साल की उम्र में भी तुलसी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए पौधों का पोषण करना और युवा पीढ़ी के साथ अपने विशाल ज्ञान को साझा करती रहती हैं। वह अब तक 1 लाख से भी अधिक पौधारोपण कर चुकी हैं। दुनिया भर में पर्यावरण को हुए नुकसान पर भी तुलसी ने नाराजगी जताई है। वह कहती हैं कि पेड़ों की कटाई आने वाली पीढ़ियों के लिए अच्छी नहीं है। उनका कहना है कि पर्यावरण को बचाने के लिए बबूल जैसे पेड़ भी लगाने चाहिए, जिससे आर्थिक लाभ भी हो और प्रकृति की सुंदरता भी बढ़े।
सादगी की जिंदगी जी रही
तुलसी आज भी बड़ी सादगी से रहती हैं। चूल्हे पर ही खाना बनाती है। पिछले 60 सालों में उनके दिन छोटे-बड़े पौधों की देखरेख में गुजर रहे हैं। उन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार, राज्योत्सव पुरस्कार, कविता स्मारक सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।