नारी शक्ति का प्रतीक है Dr Kalpana , मून मिशन के लिए 4 साल तक की कड़ी मेहनत

punjabkesari.in Wednesday, Aug 23, 2023 - 07:35 PM (IST)

आज यानी 23 अगस्त को चंद्रयान ने चांद पर लैडिंग करके भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के पन्नों पर एक नया इतिहास रच दिया है। इसरो का मिशन चंद्रयान- 3 शाम को 6:04  बजे पूर हो गया। दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है। भारत के इस मिशन को सफल बनाने के पीछे हजारों वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत तो है ही, साथ में नारी शक्ति का भी बड़ा हाथ है। मिशन की डायरेक्टर रितु करिधाल के अलावा  डॉ कल्पना  की भी इस मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका है। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में...

डॉ कल्पना 

डॉ कल्पना ने 4 साल तक  मून मिशन पर कड़ी मेहनत की है। डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने सारी बारीक गतिविधियों पर नजर रखी। कोविड के दौरान पैदा हुई मुश्किलें भी उनके हौसले को डिगा नहीं पाई। इन्हें ISRO में नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

PunjabKesari

इनके अलावा ये 3 लोगों का भी मिशन मून में अहम योगदान है...

प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं डॉ वीरामुथुवेल

डॉ वीरामुथुवेल ने मिशम चंद्रयान को सफल बनाने के लिए पिछले 4 साल में दिन रात खूब मेहनत की। साल 2019 में नाकाम हुए मिशन चंद्रयान- 2 के विक्रम लैंडर की छोटी- छोटी जानकारियों ने उन्हें मिशन चंद्रयान- 3 को और पुख्ता बनाने में मदद की है।

बीएन रामकृष्ण के इशारों पर आगे बढ़ा है चंद्रयान 3

मिशन चंद्रयान- 3 की सफलता के पीछे बीएन रामकृष्ण का भी काफी अहम योगदान माना जा रहा है। चंद्रयान- 3 इनके इसारों पर ही चांद के चारों और चक्कर लगा रहा है।

PunjabKesari

डॉ उन्नीकृष्णन नायर का भी मिशन में अहम योगदान

डॉ. उन्नीकृष्णन नायर रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेंस सेंटर के डायरेक्टर हैं। पेशे से एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं। वे प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के छात्र रहे हैं और उन्हें छोटी कहानियां लिखने का शौकीन रहे हैं। वो अंतरिक्ष की दुनिया पर कहानी भी लिख चुके हैं।


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Charanjeet Kaur

Recommended News

Related News

static