Chtra Navratri 2025: जानें इस साल कब है चैत्र नवरात्रि और पूजा की विधि

punjabkesari.in Monday, Mar 17, 2025 - 05:11 PM (IST)

नारी डेस्क: नवरात्रि हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस साल नवरात्रि केवल 8 दिन की होगी, क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन को पड़ रही है। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा विशेष रूप से की जाती है, और इस दिन को लेकर धार्मिक अनुष्ठान और पूजा विधि के बारे में जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त विशेष रूप से व्रत रखते हैं और कन्या पूजन जैसे अनुष्ठान करते हैं। जानें इस खास दिन की पूजा विधि और अन्य जरूरी जानकारी।

चैत्र नवरात्रि 2025: अष्टमी तिथि और पूजा विधि

हिंदू धर्म में नवरात्रि का महत्व बहुत अधिक है। इस दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि का आयोजन हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस साल नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च, रविवार से होगी और समापन 6 अप्रैल, रविवार को होगा। हालांकि इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि सिर्फ 8 दिन की होगी। कारण यह है कि इस बार अष्टमी और नवमी तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं।

PunjabKesari

अष्टमी तिथि पर विशेष पूजा

पंचांग के अनुसार, 2025 में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल, शनिवार को होगी। इस दिन मां महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी का व्रत भी रखा जाता है, जिसमें भक्त मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से कलश स्थापना, हवन और कन्या पूजन जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन को शक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

ये भी पढ़ें:  Vastu Tips: घर में इन जगहों पर भूलकर भी न रखें पैसे, हो सकती है धन हानि

अष्टमी तिथि का समय

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को शाम 7:26 बजे समाप्त होगी। इस समय के बाद नवमी तिथि की शुरुआत होगी, लेकिन चूंकि अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रहे हैं, नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी।

PunjabKesari

अष्टमी पूजा विधि

अष्टमी के दिन, मां महागौरी की पूजा और दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व होता है। इस दिन भक्त नौ छोटे कलश स्थापित करते हैं और उन में देवी दुर्गा की नौ शक्तियों को आमंत्रित करते हैं। इसके बाद हवन, पूजा और कन्या पूजन जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। यह दिन खास रूप से शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है।  मान्यताओं और पंचांग के अनुसार दी गई है। हालांकि, किसी भी धार्मिक कार्य को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
 
 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static