Cyberbullying का बढ़ता खतरा: कहीं आपका बच्चा न हो जाए इसका शिकार

punjabkesari.in Saturday, Mar 29, 2025 - 01:02 PM (IST)

 नारी डेस्क: आजकल बच्चों के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट एक आम चीज बन गई है। हालांकि, इसके कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ-साथ यह कई खतरों से भी भरा हुआ है। खासकर साइबर क्राइम और साइबर बुलीइंग जैसे गंभीर खतरे बच्चों के लिए बढ़ते जा रहे हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के साइबर अपराधों के शिकार होने की घटनाएं 32 प्रतिशत बढ़ी हैं। एक और रिपोर्ट में बताया गया है कि 85% भारतीय बच्चे साइबर बुलीइंग का शिकार हो रहे हैं।

बच्चों की ऑनलाइन Activities पर रखें नजर

क्या आपने कभी गौर किया है कि आपका बच्चा स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिता रहा है? क्या आपने उसे इंटरनेट और सोशल मीडिया के खतरों के बारे में समझाया है? अगर नहीं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें। सोशल मीडिया पर बच्चे अपना अकाउंट तो बना लेते हैं, लेकिन वे उसे सुरक्षित रखने की सही तरीके से जानकारी नहीं रखते। यह उनके लिए बड़ा खतरा बन सकता है, क्योंकि स्कैमर्स और साइबर अपराधी इसका फायदा उठा सकते हैं। साइबर बुलीइंग, फेक प्रोफाइल से दोस्ती, सेक्सुअल हैरेसमेंट, चीटिंग, और अन्य ऑनलाइन खतरों के कारण बच्चों की मानसिक और इमोशनल स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है।

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क्या है साइबर बुलीइंग?

साइबर बुलीइंग इंटरनेट या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए किया जाने वाला मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न है। इसमें किसी अनजान व्यक्ति या ग्रुप द्वारा अपमानजनक टिप्पणियां, धमकियां, अफवाहें फैलाना या किसी को मानसिक तनाव में डालना शामिल है। यह समस्या विशेष रूप से बच्चों और किशोरों को ज्यादा प्रभावित करती है और इसके कारण डिप्रेशन, एंग्जायटी, और कभी-कभी आत्महत्या जैसे गंभीर विचार भी आ सकते हैं।

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'चैटरूम' से बुना जाता है बुलीइंग का जाल

साइबर बुलीइंग के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 91% बच्चे और किशोर फेसबुक पर साइबर बुलीइंग का शिकार होते हैं। इसके अलावा 24.5% बच्चे X सोशल प्लेटफॉर्म पर साइबर बुलीइंग का सामना करते हैं। 72% लड़कियों को अनवांछित सेक्सुअल कंटेंट मिला है। साइबर बुलीइंग के शिकार बच्चों ने बताया कि इसने उनकी भावनाओं, दोस्ती, मानसिक स्थिति और पढ़ाई पर नकारात्मक असर डाला है। साइबर बुलीइंग के ज्यादातर मामले चैट रूम में होते हैं, जहां से यह जाल बुना जाता है।

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बच्चों को साइबर क्राइम से बचाने के उपाय

स्क्रीन टाइम को सीमित रखें: बच्चों को ज्यादा देर तक इंटरनेट पर समय बिताने से रोकें।

ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें: बच्चों की सोशल मीडिया एक्टिविटी को समय-समय पर चेक करें।

पर्सनल जानकारी सुरक्षित रखें: बच्चों को यह सिखाएं कि वे कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे पासवर्ड, ईमेल, और लोकेशन किसी के साथ साझा न करें।

फोटो और वीडियो शेयर करने से बचें: बच्चों को अपनी फोटो या वीडियो पोस्ट करने से पहले उनकी प्रॉपर्टीज को डिलीट करना सिखाएं।

साइबर बुलीइंग का शिकार होने पर कार्रवाई करें: अगर आपका बच्चा साइबर बुलीइंग का शिकार हो रहा है, तो तुरंत कार्रवाई करें। पुलिस से संपर्क करें और मामला दर्ज करवाएं।

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पैरंट्स के लिए जरूरी उपाय

ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में बच्चों को जागरूक करें: बच्चों को सोशल मीडिया के खतरे और साइबर बुलीइंग के बारे में बताएं।

साइबर सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करें: बच्चों के स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर साइबर सुरक्षा सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें, ताकि उनकी गतिविधियाँ सुरक्षित रहें।

सभी अकाउंट्स पर नजर रखें: बच्चे के सोशल मीडिया अकाउंट्स की नियमित निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि वे सुरक्षित हैं।

बच्चों को सुरक्षित इंटरनेट व्यवहार सिखाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि वे इंटरनेट पर किसी अनजान व्यक्ति से दोस्ती न करें और हमेशा सुरक्षित रहें।

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आज के डिजिटल युग में बच्चों के लिए साइबर बुलीइंग और अन्य ऑनलाइन खतरों से बचना बहुत जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर पूरी नजर रखें और उन्हें इन खतरों से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों के बारे में समझाएं और उन्हें सुरक्षित इंटरनेट उपयोग की आदतें सिखाएं।
 

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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