जांच में खुलासा: 105 मांओं के दूध में मिला खतरनाक कीटनाशक, urea, शिशुओं के लिए बढ़ा खतरा
punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 12:08 PM (IST)

नारी डेस्क: हाल ही में राजस्थान के जयपुर, बीकानेर और अन्य इलाकों में 26 से 42 वर्ष की उम्र की 105 मांओं के दूध के नमूने जांच के लिए लिए गए। यह जांच एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब में करवाई गई। सभी नमूनों में मां के दूध में कई ऐसे हानिकारक पदार्थ पाए गए जो शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं।
मां का दूध बच्चे के लिए सबसे जरूरी लेकिन हो रहा नुकसान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण स्रोत होता है। इसमें पानी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और आवश्यक एंजाइम होते हैं जो बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लेकिन खराब खानपान और पर्यावरणीय प्रदूषण की वजह से मां के दूध में जहरीले तत्व मिल रहे हैं, जो शिशुओं को बीमार कर सकते हैं।
दूध में पाए गए खतरनाक तत्व
जांच में मां के दूध में डिटर्जेंट, यूरिया, मेलामाइन, फॉर्मेलिन, सल्फेट, और कीटनाशक जैसे पदार्थ मिले। डिटर्जेंट और यूरिया जैसे तत्व दूध में नकली प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं, जो बच्चे के लिए हानिकारक हैं। मेलामाइन एक रासायनिक पदार्थ है जो दूध के पाउडर और डेयरी उत्पादों में मिलता है। यह किडनी रोग और पेट की बीमारियों का कारण बन सकता है। फॉर्मेलिन, जो मछली और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए इस्तेमाल होता है, मां के शरीर में पहुंचकर दूध को प्रदूषित कर देता है।
मां के दूध में प्रदूषण का स्रोत क्या है?
मां के दूध में ये जहरीले पदार्थ खराब खानपान, प्रदूषित पानी, कीटनाशकों के प्रयोग, और प्रदूषित वातावरण के कारण शरीर में पहुंच रहे हैं। बाहर का तला-भुना और अस्वस्थ भोजन, कीटनाशक दवाओं के उपयोग वाले फल-तरकारी, और प्रदूषित जल सेवन से मां के शरीर में ये हानिकारक तत्व जमा हो जाते हैं, जो बाद में दूध के जरिए शिशु तक पहुंचते हैं।
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बच्चों को हो सकते हैं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम
शिशुओं में इन हानिकारक तत्वों के कारण पेट के संक्रमण, दस्त, उल्टी, किडनी से जुड़ी बीमारियां, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है। दूध में मौजूद फॉर्मेलिन और मेलामाइन बच्चों के लिए गंभीर खतरा हैं, जो उनकी वृद्धि और विकास में बाधा डाल सकते हैं।
मां को क्या करना चाहिए?
मांओं को चाहिए कि वे बाहर का तला-भुना या अस्वास्थ्यकर भोजन पूरी तरह से बंद कर दें। फल, सब्जियां और मांसाहार ऐसी जगह से लें जहां कीटनाशकों का उपयोग कम हो। घर में साफ-सफाई और स्वच्छ पानी का उपयोग करें। साथ ही, खानपान में पौष्टिक और संतुलित आहार शामिल करें, ताकि मां का दूध स्वस्थ और पोषक हो।
विशेषज्ञों की सलाह
डॉक्टर हिमानी शर्मा और ममता शर्मा जैसे पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि कीटनाशकों और प्रदूषण पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। मां के दूध में कोई भी हानिकारक रसायन नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे शिशु की सेहत पर गहरा असर पड़ता है। बच्चों के बेहतर विकास के लिए मां और परिवार को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाए रखना होगा।
मां का दूध शिशु के लिए अनमोल है, लेकिन अगर इसमें हानिकारक पदार्थ मिल जाएं तो यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए, मांओं को अपने खानपान और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना होगा। साथ ही, सरकार और समाज को भी इस दिशा में कदम उठाकर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाना होगा।