#boislockeroom की सच्चाई ने एक बार फिर छीना किसी और का इंसाफ!
punjabkesari.in Monday, May 11, 2020 - 01:28 PM (IST)
सबको पता है कि #boislockeroom की सच्चाई ने हर सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। ये काम किसी लड़के ने नहीं बल्कि लड़की ने किया था। दिल्ली पुलिस ने केस की तह तक जाकर सच्चाई आखिर ढूंढ ही निकाली। आज के दौर के जज यानी ट्विटर हो या इंस्टाग्राम भी अपना-अपना फैसला सुना रहे है। हर कोई अपना ओपिनियन सरेआम सबके सामने रख रहा है। यह बेहद अच्छा है कि जनता अब इंसाफ का इंतजार नहीं करती वो सजा सुना देती है। अपना समर्थन किसे देना है वो जानती है। मगर इनसब में एक बात हुई है। इस केस में जिसके साथ अपराध हुआ था वही अपराधी है। इससे एक बार फिर किसी और विक्टिम का इंसाफ शायद छीन गया है।
If any men would have commented like this on women physique, just imagine the outrage! Need a gender neutral Indian society! #boislockeroom #girlslockeroom pic.twitter.com/d7V4WWG0WC
— Raj Shome🇮🇳 (@ca_rajshome) May 6, 2020
#boislockeroom की सच्चाई जैसे ही बाहर आई यानि कि एक जूविनाइल लड़के ने नहीं बल्कि यह एक जूविनाइल लड़की का काम है। अचानक से हर उस लड़के के भी ओपिनियन बाहर आने लगे जिसका कल तक कोई ओपिनियन था ही नहीं। सच का कोई जेंडर नहीं होता। यह बात फेमिनिज्म की नहीं है न ही बात है कि कौन-सा जेंडर गलत है। यह बात इसकी है कि आखिर हम इंटरनेट की दुनिया में रेप (लड़के/लड़की/किसी का भी हो सकता है) की बात कर रहे है। इस दुनिया में जीने के लिए या लोगों की नजरों में आने के लिए ऐसी बातों पर एक ओपिनियन देते है। जोकि सही भी है मगर फिर उसपर मुद्दे उठते है। वो बात ट्रेंडिंग हो जाती है। कुछ दिनों बाद वो महज एक खबर बनकर रह जाती है। उस लड़की ने यह गलत एक्ट कर उन लोगों (हर कोई) जिसे इंसाफ मिलना चाहिए उनका भी मौका छीन लिया है। शायद मुझे जेंडर से ज्यादा अपराधी शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि गुनाह करने वाले का कोई लिंग,धर्म या महजब नहीं होता। वो तो बस गुनहगार होता है। आपको बतादें कि पुलिस ने न तो उस जूविनाइल लड़के को सजा सुनानी थी या जूविनाइल लड़की को सुनाई। देखा जाए तो हर अपराध की सजा जेल नहीं होती , नैतिक शिक्षा भी होती है। ऐसे मैल को साफ़ करना चाहिए। जो एक्ट्स (फेमिनिज्म, ह्यूमनिस्ट ) समाज की भलाई के लिए बने है उन्हें ब्लेम नहीं करना चाहिए।
It's not about boys or girls....
— Bhavana (@Bhavana86484767) May 6, 2020
To anyone whosoever has such mindset should be taught that objectification of ppl isn't a joke #boislockeroom pic.twitter.com/iFFtOariG6
पहले अपराध को जेंडर के हिसाब से बांट दिया जाता था। अगर हमेशा से ऐसा होता आया है। तो इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा ही चलता रहेगा। आखिर में यही सवाल सबके जहन में आता है कि 'जहां पर ये फेक इंटरनेट चैट वायरल हुई है, वहीं जहां सच में ऐसा हो रहा है क्या हम वहां का सच ढूंढ पाएंगे ? हमने फेक खबर को तो वायरल कर दिया मगर सच की खबर कब इंसाफ का रास्ता ढूंढ पाएगी।आइए आपको दिखाते है कि ट्विटर पर लोगों ने क्या-क्या कहा है.......
Just a personal opinion not a personal attack. I hope you guys interpret it that way. #boislockeroom pic.twitter.com/bb85pByJDc
— Sheen Dhar (@dhar_sheen) May 6, 2020
Not only boys are sick there are girls too. These high profile kids think they can do anything and they can't be touched or punished by anyone. Their sick mentality is also the ill defencive reaction of their parents to protect their children. #girlslockeroom #boislockeroom pic.twitter.com/rfO7rAu17N
— Ayush Singh (@sarcasticup78) May 6, 2020
We should stop playing our own #Mahabharat over #boislockeroom and #girlslockeroom talks.
— Shivang Jain (@ShivangJain_) May 6, 2020
No misandry, no misogyny, but chivalry indeed. pic.twitter.com/2Ntfm2yyhU
The issue got so big it ended up in a suicide. What happend was wrong and what’s happenings is also wrong. #boislockeroom#girlslockeroom pic.twitter.com/FqoQ35GarP
— Manan Jain (@daddy_zoned) May 6, 2020
My take on #boislockeroom pic.twitter.com/Co2pPPnaMf
— Nikhil Sharma (@nickcriticize) May 6, 2020