महिलाओं को समय से पहले बूढ़ा बना रहे हैं ये 4 कारण, जानिए बचाव के टिप्स

punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 05:15 PM (IST)

नारी डेस्क: आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में महिलाएं अपनी सेहत को अक्सर नजरअंदाज कर देती हैं। काम का बोझ, परिवार की जिम्मेदारियां और खुद के लिए समय की कमी ये सभी चीजें उनकी सेहत पर असर डालती हैं। इन्हीं वजहों से आजकल महिलाओं में समय से पहले उम्र बढ़ने की समस्या बहुत आम होती जा रही है। कुछ महिलाएं कम उम्र में ही बड़ी दिखने लगती हैं और उनके शरीर में ऐसे बदलाव आने लगते हैं जो आमतौर पर उम्र के साथ होते हैं। जैसे कि जोड़ों का दर्द, झुर्रियां, थकान और मांसपेशियों में कमजोरी। ये सभी चीजें न सिर्फ उनके शरीर को कमजोर बनाती हैं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को भी प्रभावित करती हैं। तो चलिए जानते है कि महिलाओं में समय से पहले एजिंग क्यों होती है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

मांसपेशियों की कमी – एक गंभीर वजह

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। इस स्थिति को सरकोपेनिया कहा जाता है। यह आमतौर पर 60 साल की उम्र के बाद होती है, लेकिन आजकल ये समस्या महिलाओं में बहुत पहले ही देखने को मिल रही है। इसका कारण क्या है? शारीरिक गतिविधियों की कमी, प्रोटीन और पोषण की कमी, हार्मोनल बदलाव (खासकर मेनोपॉज के बाद), तनाव और मानसिक दबाव। मांसपेशियों की कमी से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है और गिरने या चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे शरीर जल्दी थकता है और दैनिक कामकाज में परेशानी होती है।

PunjabKesari

ये भी पढ़े: Abortion के बाद क्यों आती है प्रेग्नेंसी में परेशानी? एक्सपर्ट्स ने बताए अहम कारण

जोड़ों में दर्द और सूजन

बहुत-सी महिलाएं 40 की उम्र के बाद जोड़ों में दर्द और अकड़न की शिकायत करने लगती हैं। ये समय से पहले बुढ़ापे का संकेत हो सकता है। इसका मुख्य कारण है एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी, जो मेनोपॉज के बाद शरीर में कम हो जाता है। इसके अलावा, गलत जीवनशैली, ज्यादा वजन होना, जेनेटिक फैक्टर्स। जोड़ों में सूजन और दर्द चलने-फिरने में रुकावट डालते हैं, जिससे महिलाओं की दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है। यह एक प्रकार का आर्थराइटिस भी हो सकता है।

मेनोपॉज और हार्मोनल बदलाव

मेनोपॉज यानी जब महिलाओं के पीरियड्स बंद हो जाते हैं, एक बहुत बड़ा शारीरिक बदलाव होता है। इस दौरान हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है – खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर गिर जाता है। इससे क्या होता है? हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस), स्किन की चमक और इलास्टिसिटी में कमी, नींद न आना (इनसोम्निया), मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन, वजन बढ़ना। ये सभी लक्षण महिलाओं में एजिंग की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं।

PunjabKesari

गलत लाइफस्टाइल और लगातार तनाव

आज की महिलाएं कई जिम्मेदारियों को संभाल रही हैं – घर, ऑफिस, बच्चे और सामाजिक जीवन। इस दौड़-भाग में वे अपनी सेहत और दिनचर्या पर ध्यान नहीं दे पातीं।इसका नतीजा होता है गलत खानपान (जंक फूड, बाहर का खाना), नींद की कमी, स्मोकिंग और शराब का सेवन, लगातार मानसिक तनाव। ऐसी लाइफस्टाइल से शरीर में सूजन (Inflammation) और हार्मोनल असंतुलन बढ़ता है, जिससे एजिंग की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

कैसे बचा जाए समय से पहले बुढ़ापे से?

नियमित व्यायाम करें: योगा, वॉक, स्ट्रेचिंग और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज
संतुलित और पौष्टिक आहार लें: प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर युक्त भोजन
पर्याप्त नींद लें: कम से कम 7–8 घंटे की नींद जरूरी है
तनाव से दूर रहें: मेडिटेशन, म्यूजिक और अपनी पसंद के काम करें
स्वास्थ्य जांच कराएं: हार्मोन, हड्डियों और मेटाबोलिज्म की रेगुलर जांच करवाएं

अगर इन बातों को समय रहते पहचान लिया जाए और सही कदम उठाए जाएं, तो महिलाएं लंबे समय तक स्वस्थ, सक्रिय और जवान बनी रह सकती हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

PRARTHNA SHARMA

Related News

static