बचपन में भीख मांगने वाली बच्ची बनी डॉक्टर, चीन से डिग्री लेकर लौटी अपने देश

punjabkesari.in Friday, Oct 04, 2024 - 11:03 AM (IST)

नारी डेस्क: मुश्किल हालात बोझ की तरह होते हैं और बोझ वही उठा सकता है जिसके कंधे और पांव मजबूत हो। आज हम ऐसी ही एक लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने ना सिर्फ गरीबी का बोझ उठाया बल्कि दुनिया के लिए मिसाल भी बन गई। कभी सड़कों पर मां के साथ भीख मांगने वाली लड़की अब डॉक्टर बन गई है। चलिए जानते हैं  स्लम एरिया में रहने वाली पिंकी की कहानी। 

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मकलोडगंज में भगवान बुद्ध के मठ के पास साढ़े चार साल की मासूम पिंकी हरयान कभी मां के साथ भीख मांगती थी।  इस दौरान तिब्बती संस्था टोंग-लेन ने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए और अपने हॉस्टल में जगह दी। वहां पिंकी ने बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी यानी एमबीबीएसी की डिग्री पूरी की। अब वह चीन से डाक्टर बनकर लौटी ।

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पिंकी ने बताया कि वह साल 2004 में मां कृष्णा के साथ मकलोडगंज में बौद्ध मठ के पास भीख मांग रही थी। तभी भिक्षु जामयांग की नजर उन पर पड़ी। कुछ दिन बाद वह चरान खड्ड की झुग्गी-बस्ती में आए। उन्होंने मेरा धर्मशाला के दयानंद मॉडल स्कूल में अन्य बच्चों के साथ दाखिला करा गया। 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही पिंकी ने नीट की परीक्षा भी पास कर ली थी। उन्हें चीन के मेडिकल विश्वविद्यालय में 2018 में दाखिला लिया। वहां से छह साल की एमबीबीएस की डिग्री पूरी करके वह धर्मशाला लौट आई है।

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 टोंगलेन संस्था संस्थापक जामयांग ने बताया कि- शुरुआत में मुझे नहीं पता था कि बच्चों में इतनी प्रतिभा छिपी हुई है। मैं यह सोचकर बच्चों के साथ जुड़ा था कि उन्हें थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा देंगे, ताकि वे अपना नाम लिखना सीख जाएं। लेकिन वे अब समाज को प्रेरणा दे रहे हैं।2010 में एक इंटरव्यू के दौरान पिंकी  से सवाल किया गया था कि वह बड़े होकर क्या बनना चाहती है? इस दौरान वह नहीं जानती थी कि डॉक्टर कैसे बनते हैं लेकिन आज वह अपना सपना पूरा करने में कामयाब हो गई। पिंकी ने टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट को अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय दिया। 
 


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vasudha

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