दादा-दादी का गिफ्ट किया 'स्पेशल बैग' लेकर ही स्कूल जाते हैं जापानी बच्चे, भूकंप-सुनामी से करता बचाव
punjabkesari.in Thursday, Mar 27, 2025 - 06:14 PM (IST)

नारी डेस्क: जापान एक ऐसा देश हैं जो अपने अनुशासन के लिए जाना जाता है। जापान में सुनामी व भूकंप अक्सर आते ही रहते हैं। स्कूली बच्चों को सुरक्षा देने के लिए जापान सरकार हर तरह की मुमकिन कोशिशें करती रहती हैं। इसी सुरक्षा को देखते हुए जापान के बच्चे एक स्पेशल बैग अपने साथ लेकर चलते हैं जो उन्हें भूकंप व सुनामी आने पर सुरक्षा प्रदान करता है। चलिए इस स्कूल बैग की खासियत आपको बताते हैं।
रैंडोसेरु: जापान का खास स्कूल बैग
रैंडोसेरु (Randoseru) एक पारंपरिक जापानी स्कूल बैग है, जिसे प्राथमिक विद्यालय (Elementary School) के बच्चों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह बैग मजबूत, टिकाऊ और आकर्षक डिज़ाइन वाला होता है, जिसे बच्चे छह साल तक इस्तेमाल कर सकते हैं। "रैंडोसेरु" शब्द डच भाषा के "Ransel" से लिया गया है, जिसका मतलब बैग या बैकपैक होता है। यह परंपरा जापान में 19वीं सदी में शुरू हुई, जब समुराई योद्धाओं के लिए मजबूत बैग बनाए जाते थे। बाद में इसे प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए अपनाया गया।
रैंडोसेरु का इतिहास
जापान में इस्तेमाल किया जाने वाला रैंडोसेरु कोई नया बैग नहीं है। यह बैग 100 साल पुराना है और इसकी शुरुआत सन 1868 से सन 1912 के बीच, मीजी युग में हुई थी। उस समय जापान अपनी शिक्षा प्रणाली का आधुनिकीकरण कर रहा था। रैंडोसेरु का डिज़ाइन नीदरलैंड के सैन्य बैकपैक से प्रेरित था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, यह बैग जापान में अनुशासन, एकता और शिक्षा का प्रतीक बन गया। आज के समय में, जापान के हर पहले कक्षा के छात्र के लिए रैंडोसेरु का होना जरूरी है।
रैंडोसेरु की खासियतें
मजबूती और टिकाऊपन – यह बैग लेदर (चमड़ा) या सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है, जिससे यह कई सालों तक खराब नहीं होता।
आरामदायक डिज़ाइन – इसकी पट्टियाँ (Straps) इस तरह से बनी होती हैं कि बच्चों के कंधों पर कम दबाव पड़े।
अलग-अलग रंग – पहले यह बैग सिर्फ लड़कों के लिए काले और लड़कियों के लिए लाल रंग में उपलब्ध था, लेकिन अब यह कई रंगों में आता है।
महंगा लेकिन दीर्घकालिक – एक असली रैंडोसेरु की कीमत 30000-70000 जापानी येन (₹15,000 - ₹40,000) तक हो सकती है, लेकिन यह छह साल तक चलता है।
जापानी संस्कृति में रैंडोसेरु का महत्व
शिक्षा का प्रतीक – जापान में यह बैग केवल एक स्कूल बैग नहीं, बल्कि अनुशासन और शिक्षा के महत्व का प्रतीक माना जाता है।
भावनात्मक जुड़ाव– बच्चे इस बैग से गहरा लगाव रखते हैं क्योंकि यह उनके स्कूल जीवन का अहम हिस्सा होता है।
उपहार देने की परंपरा– जापान में दादा-दादी अक्सर अपने पोते-पोतियों को स्कूल शुरू करने पर यह बैग गिफ्ट करते हैं।
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1. रैंडोसेरु: जापान का खास स्कूल बैग और आपदा सुरक्षा
रैंडोसेरु (Randoseru) न केवल एक स्टाइलिश और मजबूत स्कूल बैग है, बल्कि यह प्राकृतिक आपदाओं, जैसे भूकंप और सुनामी, में बच्चों की सुरक्षा में भी मदद कर सकता है। जापान में अक्सर आने वाले भूकंप और सुनामी को ध्यान में रखते हुए, इस बैग को विशेष डिज़ाइन किया गया है।
भूकंप में कैसे सुरक्षा देता है?
सिर को बचाने के लिए हेलमेट की तरह इस्तेमाल
रैंडोसेरु की कठोर और मजबूत संरचना इसे एक संरक्षण ढाल (Protective Shield) की तरह काम करने में मदद करती है।
जब भूकंप आता है, तो बच्चे इस बैग को अपने सिर पर रखकर मलबे या गिरने वाली वस्तुओं से बच सकते हैं।
कुछ रैंडोसेरु मॉडल में सुरक्षा पैडिंग दी जाती है, जिससे सिर और पीठ को अधिक सुरक्षा मिलती है।
स्कूल में सुरक्षित स्थान तक पहुंचने में मदद
जापानी स्कूलों में बच्चों को सिखाया जाता है कि भूकंप के दौरान कैसे खुद को सुरक्षित रखें।
बैग में रखे आपातकालीन किट (Emergency Kit) में एक छोटी पानी की बोतल, टॉर्च, सीटी और प्राथमिक उपचार सामग्री हो सकती है।
बच्चे इस बैग को अपनी पीठ पर बाँधकर जल्दी से सुरक्षित स्थान तक पहुँच सकते हैं।
2. सुनामी से कैसे बचाव करता है?
वाटरप्रूफ डिज़ाइन से जरूरी सामान बचता है। कुछ रैंडोसेरु मॉडल वाटरप्रूफ होते हैं, जिससे अचानक पानी आने पर किताबें और जरूरी सामान खराब नहीं होते। बच्चों के बैग में रखे पहचान पत्र (ID), नक्शा और प्राथमिक चिकित्सा किट सुरक्षित रहते हैं।
आपातकालीन स्थितियों में तैरने में मदद कर सकता है
रैंडोसेरु का हल्का लेकिन मजबूत डिज़ाइन इसे पानी में तैरने योग्य बनाता है। अगर कोई बच्चा अचानक बाढ़ या सुनामी के पानी में फँस जाए, तो यह बैग अस्थायी फ्लोटेशन डिवाइस (Flotation Device) की तरह काम कर सकता है।
अतिरिक्त सुरक्षा विशेषताएं
रिफ्लेक्टिव स्ट्राइप्स– रात में या कम रोशनी में यह चमकते हैं, जिससे बच्चों को आसानी से देखा जा सकता है।
मजबूत पट्टियां (Straps)– ये बैग बच्चों के कंधों पर मजबूती से टिके रहते हैं, जिससे वे आपातकाल में जल्दी भाग सकते हैं।
खास डिज़ाइन वाले रैंडोसेरु– कुछ स्कूल विशेष आपदा-रोधी रैंडोसेरु (Disaster-Resistant Randoseru) प्रदान करते हैं, जिनमें अतिरिक्त सुरक्षा फीचर्स होते हैं।
भारत के स्कूल बैग की समस्या
भारत में आज भी बच्चे भारी-भरकम बैग लेकर जाते हैं, जिसमें मोटी-मोटी किताबें भरी रहती हैं। इससे उनके शरीर पर बोझ पड़ता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। theirworld.org में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, भारत में कई बच्चे भारी बैग के कारण पीठ और कंधों में दर्द महसूस करते हैं। भारत में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ASSOCHAM) द्वारा एक सर्वे किया गया, जिसमें पाया गया कि 68% प्री-टीनेज बच्चे हल्के पीठ दर्द से पीड़ित हो सकते हैं। यह दर्द बाद में गंभीर रूप ले सकता है, जिससे उन्हें कूबड़ जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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बच्चों के लिए सही बैग का वजन
शिक्षा मंत्रालय ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि बच्चे के शरीर के वजन का 10 प्रतिशत से ज्यादा बैग का वजन नहीं होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश, भारत में ज्यादातर बच्चे इससे कहीं अधिक वजन उठाते हैं। यह उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
नोटः रैंडोसेरु सिर्फ एक स्कूल बैग नहीं है, बल्कि यह जापान में बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है। इसकी मजबूत बनावट, वाटरप्रूफ गुण, और विशेष डिज़ाइन इसे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मददगार बनाते हैं। जापान की शिक्षा प्रणाली इस बैग को सुरक्षा और अनुशासन का प्रतीक मानती है, जिससे यह हर प्राथमिक स्कूल के बच्चे के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है।