इस नवरात्रि भूलकर भी ना करवाएं बच्चे का मुंडन, इन 9 दिनों में शादी-विवाह पर भी रोक

punjabkesari.in Monday, Mar 24, 2025 - 06:37 PM (IST)

नारी डेस्क: भारतीय संस्कृति में नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से मानी जाती है। इसकी शुरूआत ही नवरात्रि त्योहार से होती है, जिसके बाद मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, शादी-विवाह आरंभ हो जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि पर खरमास की अशुभ छाया रहने वाली है, जो कुछ धार्मिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है।  

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 खरमास क्या होता है?

खरमास एक धार्मिक अवधि है, जिसमें सूर्य देव का गोचर धनु या मीन राशि में होता है। यह 1 महीने तक चलता है और इसे शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है।  इस बार खरमास 14 मार्च से शुरू हो चुका है जो 14 अप्रैल तक रहेगा,इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।  हालांकि  इसे धार्मिक साधना और उपासना  के लिए शुभ माना जाता है।  

 

साल में दो बार लगता है खरमास

खरमास साल में दो बार आता है। पहल धनु खरमास:  जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं।  दूसरी मीन खरमास:  जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार  मीन खरमास रहेगा,   ऐसे में चैत्र नवरात्रि (30 मार्च – 7 अप्रैल)खरमास के दौरान आएगी।   खरमास के दौरान मांगलिक कार्य और नए शुभ काम करने की मनाही होती है।  इस दौरान नए घर में प्रवेश करना या गृह प्रवेश की पूजा करना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा  बच्चों का मुंडन या नामकरण करना इस अवधि में उचित नहीं माना जाता।  

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 खरमास के प्रभाव  के  बीच कैसे करें पूजा ? 

खरमास के दौरान नवरात्रि मनाना पूरी तरह से शुभ होता है, क्योंकि देवी पूजा, उपासना और साधना के लिए यह समय शुभ माना जाता है।  नवरात्रि में व्रत, जप, हवन, अनुष्ठान और देवी पूजन करने का विशेष महत्व है।   नवरात्रि में कलश स्थापना करना पूरी तरह शुभ माना जाता है।  मां दुर्गा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।  इसके अलावा नवरात्रि में हवन, दुर्गा सप्तशती का पाठ या देवी स्तोत्र का पाठ करने की भी मनाही नहीं है।  खरमास में दान, जप और साधना करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।  


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vasudha

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