एक तरफ गूंजी किलकारी दूसरी तरफ मां की थमी सांसे... बच्ची को दुनिया में लाकर चली गई ब्रेन डेड महिला
punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 11:48 AM (IST)
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नारी डेस्क: 38 वर्षीय आशिता चांडक के परिवार के लिए घटनाओं का एक दुखद मोड़ तब आया जब 7 फरवरी को गर्भावस्था के आठवें महीने के दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ। एक तरफ घर में किलकारी गूंजने की खुशी और दूसरी तरफ बहू की मौत का मातम, इस कहानी को जिसने सुना वह भावुक हो गया।
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आशिता को गंभीर मस्तिष्क क्षति के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एक बच्ची की समय से पहले सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा के लिए उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था, जो अब वेंटिलेटर सपोर्ट पर आईसीयू में है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक 13 फरवरी को, जब चिकित्सा पेशेवरों ने पाया कि ठीक होने की कोई संभावना नहीं है, तो आशिता को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों ने अंग दान के लिए उसके परिवार से संपर्क किया, जिस पर वे सहमत हो गए। इसके बाद, मेडिकल टीम ने प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के लिए दोनों किडनी, लीवर और कॉर्निया निकाले।
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आशिता के ससुर राजेश रामपाल ने बताया कि 7 फरवरी को एक निजी फर्म में कस्टमर सपोर्ट मैनेजर के तौर पर काम करने वाली आशिता को गर्भावस्था के आठवें महीने में अचानक ब्रेन स्ट्रोक हुआ। आर्टेमिस अस्पताल पहुंचने पर उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ। सीपीआर देने के बावजूद वह बेहोश रही। मेडिकल स्टाफ ने उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा और तुरंत सिजेरियन सेक्शन की सलाह दी। उसी दिन बच्ची का जन्म हुआ, लेकिन उसे वेंटिलेटर सपोर्ट की भी जरूरत थी।
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ब्रेन डेथ का मतलब है मस्तिष्क के कार्यों का अपरिवर्तनीय नुकसान, जिसे कानून के अनुसार विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। एक बार जब मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है, तो उसके कई अंगों को निकाला जा सकता है, जिसमें हृदय, किडनी, लीवर और अग्न्याशय आदि शामिल हैं। हालांकि, हृदय को केवल 55-60 वर्ष की आयु तक ही दान किया जा सकता है।