कम उम्र में बड़ा कमाल: 7 साल की बच्ची बनी दुनिया की सबसे कम उम्र की ताइक्वांडो मास्टर

punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 10:53 AM (IST)

नारी डेस्क: कहते हैं सफलता पाने की कोई उम्र नहीं होती, और यह बात 7 साल की बच्ची संयुक्ता नारायणन ने सच साबित कर दी है। तमिलनाडु के मदुरै की रहने वाली संयुक्ता ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर ताइक्वांडो के सबसे कम उम्र के प्रशिक्षक (Instructor) का खिताब अपने नाम कर लिया है। वह सिर्फ 7 साल और 270 दिन की उम्र में यह रिकॉर्ड बनाने में सफल हुईं।

संयुक्ता (Samyuktha) की प्रेरणादायक उपलब्धि

जब बच्चे स्कूल की छुट्टियों में खेलने और मस्ती करने में समय बिताते हैं, तब तमिलनाडु की 7 साल की संयुक्ता ने ऐसा काम कर दिखाया, जिससे पूरे देश को गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने 7 साल और 270 दिन की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की ताइक्वांडो प्रशिक्षक बनकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया है। उनका यह रिकॉर्ड साबित करता है कि अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी बच्चा कुछ भी कर सकता है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए लिखा, "संयुक्ता ने 7 साल और 270 दिन की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की ताइक्वांडो प्रशिक्षक बनकर इतिहास रच दिया है। वह मदुरै के बच्चों के लिए प्रेरणा हैं और उन्हें खेलों में भाग लेने के लिए उत्साहित करती हैं।"

लोगों की प्रतिक्रियाएं और चिंताएं

संयुक्ता की इस उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा हो रही है। लोग उसकी मेहनत और साहस की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "संयुक्ता को इतनी कम उम्र में रिकॉर्ड बनाने पर बधाई। उसकी मेहनत वाकई प्रेरणादायक है।" दूसरे यूजर ने कहा, "बच्चे बड़ी-बड़ी चीजें कर सकते हैं, अद्भुत।"

हालांकि, कुछ लोग चिंतित भी हैं। एक यूजर ने लिखा, "इतनी कम उम्र में ताइक्वांडो करना क्या सही है? एक मोच वाला टखना उसके भविष्य पर असर डाल सकता है।"

देशभर में गर्व का माहौल

संयुक्ता की इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व महसूस हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग उसे 'छोटी मास्टर' कहकर बुला रहे हैं और उसकी तारीफ कर रहे हैं। उसने यह साबित कर दिया है कि अगर दिल में जज्बा हो, तो कोई भी मुश्किल छोटी हो जाती है। अब संयुक्ता का सपना है कि वह ताइक्वांडो में आगे बढ़े और भारत के लिए बड़े-बड़े मेडल जीतें।

संयुक्ता की सफलता ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू कर दी है। क्या बच्चों को इतनी छोटी उम्र में इस तरह का दबाव डालना सही है, या यह उनकी प्रतिभा को निखारने का मौका है? हालांकि, संयुक्ता के माता-पिता और कोच का मानना है कि वह ताइक्वांडो करती है क्योंकि उसे यह खेल पसंद है और वह इसके लिए पूरी तरह से समर्पित है।

संयुक्ता की सफलता यह दिखाती है कि उम्र छोटी हो सकती है, लेकिन अगर मन में जुनून और मेहनत हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
 
 

 

 


 


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Content Editor

Priya Yadav

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