Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा और श्रीकृष्ण में क्या है संबंध, जानिए शुभ मुहूर्त

punjabkesari.in Sunday, Nov 15, 2020 - 11:25 AM (IST)

दिवाली के एक दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भारत में गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गाय की पूजा होती है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, गाय देवी लक्ष्मी का रूप मानी जाती है। वहीं, गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है। चलिए आज हम आपको बताते हैं गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें...

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा पर्व तिथि - रविवार, 15 नवंबर 2020
गोवर्धन पूजा सायं काल मुहूर्त - दोपहर बाद 15:17 बजे से सायं 17:24 बजे तक
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 10:36 (15 नवंबर 2020) से
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 07:05 बजे (16 नवंबर 2020) तक

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ऐसे हुई गोवर्धन पूजा की शुरुआत

कथाओं के मुताबिक, गोवर्धन पूजा की शुरूआत द्वापर युग में हुई। एक बार ब्रज में इंद्रदेव की पूजा की जा रही है तब भगवान श्रीकृष्ण ने पूछा की यहां किसकी पूजा की जा रही है। इस भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि वर्षा करना देवराज इंद्रराज का दायित्व है जबकि गोवर्धन पर्वत पर्यावरण शुद्धता के लिए गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करते हैं। तब भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने एक साल गाय के गोबर का पहाड़ बनाकर उसकी परिक्रमा व पूजा की, जिसके बाद हर साल ऐसा किया जाने लगा। इस बात से नाराज होकर इंद्रदेव ने ब्रज को बारिश के पानी डुबो दिया था।

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गोवर्धन पूजा का कृष्ण से संबंध

तब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को बचाने के लिए अपनी एक उंगली पर पर्वत को उठा लिया, ताकि ब्रजवासी बारीश से बचने के लिए उसके नीचे शरण ले सके। इसके बाद ब्रजवासी लगातार 7 दिन तक पर्वत के नीचे हे। तब भगवान ब्रह्मा ने इंद्रदेव को श्रीकृष्ण के विष्णु अवतार के बारे में बताया और उन्होंने भगवान से क्षमा याचना मांगकर बारीश बंद कर दी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने पर्वत को नीचे रख दिया और तब से हर घर में अन्नकूट की पूजा की जाने लगी।

ऐसे होता है पूजन

गोवर्धन पूजा में लोग घर के आंगन में गाय के गोबर से पर्वत और ग्वाल बाल और पेड़-पौधों के चित्र बनाते हैं। फिर जल, रोली, मौली, फूल, चावल, दही और तेल के दीपक से पूजा की जाती है। फिर पर्वत की परिक्रमा लगाकर गिरिराज भगवान को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

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Content Writer

Anjali Rajput

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