नृसिंह जयंती 2025:आज है नृसिंह जयंती, जानें शाम की पूजा का शुभ समय और विधि
punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 12:49 PM (IST)

नारी डेस्क: हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान नृसिंह की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार नृसिंह भगवान की पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा की जाती है। भगवान नृसिंह भगवान विष्णु के उग्र रूप हैं। इनका शरीर आधा मनुष्य और आधा सिंह के रूप में होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान नृसिंह का अवतार दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप के वध के लिए हुआ था। हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिला था कि न तो कोई इंसान और न ही कोई जानवर उसे मार सकता है। इस वरदान को निष्फल करने के लिए भगवान विष्णु ने आधे मानव और आधे सिंह के रूप में नृसिंह अवतार लिया और संध्या समय में हिरण्यकश्यप का वध किया।
नृसिंह जयंती 2025 की तिथि और समय
इस साल नृसिंह जयंती की तिथि 10 मई की रात से शुरू हो चुकी थी और यह तिथि 11 मई, रविवार को रात 8:01 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसीलिए नृसिंह जयंती 11 मई को ही मनाई जा रही है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भगवान नृसिंह की पूजा करने का शुभ समय 11 मई को शाम 4:21 मिनट से लेकर शाम 7:03 मिनट तक है। इस समय के बीच भगवान की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। जो लोग नृसिंह जयंती का व्रत रख रहे हैं, वे 12 मई की सुबह 5:32 मिनट पर व्रत का पारण कर सकते हैं।
नृसिंह जयंती की पूजा विधि
पूजा स्थान की सफाई करें और एक स्वच्छ कपड़ा बिछाकर चौकी पर भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान के समक्ष दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती लगाएं। भगवान को फूल, फल, और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। मंत्रों का जाप करें और भगवान से अपने जीवन के कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद सभी को वितरित करें।
इस दिन क्या करना शुभ होता है?
नृसिंह जयंती के दिन वस्त्र, अन्न और जरूरतमंदों को दान देना बेहद शुभ माना जाता है। भगवान नृसिंह के मंदिर जाकर भी पूजा की जा सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधिवत पूजा और व्रत करने से कालसर्प दोष, भय और दुखों से मुक्ति मिलती है।
नृसिंह जयंती पर जाप किए जाने वाले मंत्र
भोग अर्पण करते समय बोला जाने वाला मंत्र
नैवेद्यं शर्करां चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्।
ददामि ते रमाकांत सर्वपापक्षयं कुरु।।
नृसिंह बीज मंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
नृसिंह गायत्री मंत्र
ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे, वज्रनखाय धीमहि।
तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्।
नृसिंह कवच मंत्र
नारायणानन्त हरे नृसिंह प्रह्लादबाधा हरेः कृपालु:
नृसिंह जयंती भगवान विष्णु के शक्ति और न्याय के रूप की पूजा करने का पावन अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के कष्टों का भी निवारण होता है। भगवान नृसिंह की भक्ति से आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।