130 दिन तक सुअर की किडनी ने दिया साथ, अब फिर से डायलिसिस पर लौटी महिला

punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 05:18 PM (IST)

नारी डेस्क: अमेरिका की रहने वाली टोवाना लूनी ने चिकित्सा जगत में एक अनोखा इतिहास रचा है। वह दुनिया की पहली महिला बन गईं हैं जिन्होंने सुअर की किडनी के सहारे 130 दिन तक जीवन व्यतीत किया। हालांकि अब कई जटिलताओं के चलते डॉक्टरों को उनके शरीर से यह किडनी निकालनी पड़ी है और टोवाना को फिर से डायलिसिस पर लौटना पड़ा है।

कब और क्यों लगाई गई थी सुअर की किडनी?

टोवाना लूनी कई वर्षों से गंभीर किडनी की बीमारी से जूझ रही हैं। 2016 से उनकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही थी, और उनका शरीर बार-बार इंसानी किडनी को अस्वीकार करता रहा। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए डॉक्टरों ने एक वैकल्पिक प्रयोग किया। 25 नवंबर 2023 को डॉक्टरों ने जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर की किडनी टोवाना के शरीर में प्रत्यारोपित की।

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यह प्रयोग नैदानिक दृष्टिकोण से नया और चुनौतीपूर्ण था लेकिन डॉक्टरों को इससे काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि यह किडनी इंसानी अंगों की कमी को पूरा करने के लिए एक समाधान हो सकती थी।

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शुरुआत में बेहतर परिणाम

शुरुआत में यह सुअर की किडनी पूरी तरह से काम करने लगी, जिससे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों में नई उम्मीदें जगीं। टोवाना के शरीर ने इसे अच्छे से स्वीकार किया था, और किडनी ठीक से काम कर रही थी। इस सफलता ने चिकित्सा जगत में नई दिशा की ओर इशारा किया और माना गया कि यह प्रयोग भविष्य में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक विकल्प हो सकता है।

अप्रैल 2024 में स्थिति में बदलाव

लेकिन, जैसे-जैसे समय बीता, अप्रैल 2024 की शुरुआत में टोवाना के शरीर ने इस अंग को अस्वीकार करना शुरू कर दिया। इस बदलाव के बाद डॉक्टरों ने स्थिति का जायजा लिया और किडनी को हटाने का निर्णय लिया। डॉक्टरों ने यह तय किया कि इस अंग को अधिक समय तक शरीर में रखना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए इसे हटा दिया गया।

टोवाना का साहस और प्रतिक्रिया

हालांकि सुअर की किडनी से मिलने वाली उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी, लेकिन टोवाना ने इसका कोई दुख नहीं मनाया। वह खुद को "सुपरवुमैन" मानने के बजाय अपनी स्थिति को सकारात्मक रूप में देखती हैं। टोवाना ने कहा "नतीजा भले ही उम्मीदों के अनुसार नहीं रहा, लेकिन मुझे गर्व है कि इस प्रयास से डॉक्टरों को बहुत कुछ सीखने को मिला। अगर मेरी यह कोशिश किसी और की जान बचाने में मदद करती है, तो यह मेरे लिए गर्व की बात होगी।"

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क्यों नहीं टिकी सुअर की किडनी?

इस प्रयोग के प्रमुख डॉक्टर डॉ. रॉबर्ट मॉन्टगोमरी ने बताया कि टोवाना पहले से ही बहुत गंभीर बीमार थीं और उनके शरीर में कई जटिलताएं थीं। इस वजह से सुअर की किडनी लंबे समय तक काम नहीं कर सकी। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसे प्रयोगों के लिए कम गंभीर मरीजों पर परीक्षण करना बेहतर रहेगा, ताकि शरीर की प्रतिक्रिया को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

उदाहरण के तौर पर, न्यू हैम्पशायर के एक व्यक्ति को जनवरी 2025 में सुअर की किडनी लगाई गई थी, और वह अभी भी सफलतापूर्वक काम कर रही है।
यह स्थिति यह दर्शाती है कि इस प्रकार के प्रयोगों में अभी भी संभावनाएं हैं, और चिकित्सा विज्ञान में लगातार सुधार हो रहा है।

टोवाना लूनी का यह प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि यह पूरी तरह से सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने पशु अंगों के मानव शरीर में प्रत्यारोपण की संभावनाओं को एक नई दिशा दी है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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