पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है Kokila Vrat, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत से जुड़ी खास बातें
punjabkesari.in Saturday, Jul 01, 2023 - 07:05 PM (IST)
स्नातन धर्म में हर महीने कई सारे तीज- त्योहार और व्रत आते हैं। इसी तरह आषाढ़ पूर्णिमा तिथि के दिन कोकिला व्रत रखा जाता है। इस दिन भोलेनाथ और मां पार्वती के साथ-साथ कोयल की पूजा की जाती है। ये व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस साल इस पावन अवसर आएगा रविवार 2 जुलाई को।
कोकिला व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की गणन के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 2 जुलाई को शाम में 8 बजकर 21 मिनट से शुरु होकर 3 जुलाई को शाम 05 बजकर 8 मिनट तक रहेगा । वहीं कोकिला व्रत का पूजा मुहूर्त रात को 8 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
कोकिला व्रत के बारे में जान लें ये महत्वपूर्ण बातें
कोकिला व्रत जिस दिन व्रत शुरू होता है, उस दिन कोकिला व्रत का संकल्प लेने वाली लड़कियों व महिलाओं को ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग कर देना चाहिए, ताकि पूरे दिन चलने वाले कार्यक्रमों व पूजा का समय से शुभारंभ हो सके।
इस दिन आंवले के गूदे और पानी के मिश्रण से स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि गूदा न मिले तो आंवले के रस को डालकर स्नान करना चाहिए। यह अनुष्ठान कुछ स्थानों पर पूरे एक सप्ताह से अधिक दिनों तक और कुछ जगहों पर अगले 8 से 10 दिनों तक किया जाता है।
कोकिला व्रत का शुभारंभ स्नान के बाद भगवान सूर्य की पूजा करने की जाती है। फिर चने के मोटे आटे से बनी दिन की पहली रोटी गाय को खिलाकर गाय का आशीर्वाद लिया जाता है।
इसके बाद हल्दी, चंदन, रोली, चावल और गंगाजल का उपयोग करके कोयल पक्षी की मूर्ति की पूजा करते हैं। इसको अगले 8 दिनों तक पूजा जाता है। यहां कोयल को देवी पार्वती का प्रतीक मानकर पूजा जाता है, क्योंकि माता सती ने कोयल रूप में भोलेनाथ को पाने के लिए कई सालों की कठोर तपस्या की थी।
कोकिला व्रत के दौरान सूर्यास्त होने तक उपवास रखना चाहिए और कोकिला व्रत कथा सुनकर और यदि संभव हो तो कोयल पक्षी को देखने या उसकी तस्वीर देखने के बाद व्रत का समापन कर देना चाहिए।