इस बार एक नहीं दो दिन रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, 32 घंटे बाद जल ग्रहण कर सकेंगे ग्रहस्थ
punjabkesari.in Saturday, May 24, 2025 - 05:55 PM (IST)

नारी डेस्क: निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायक व्रत माना जाता है। यह एकादशी व्रतों में सबसे कठिन और फलदायक मानी जाती है क्योंकि इसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता इसीलिए इसे “निर्जला” कहा जाता है। इस साल निर्जला एकादशी दो दिन मनाई जाएगी। पहले दिन स्मार्त निर्जला एकादशी का व्रत और दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा ।
ये है मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून 2025 को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी। हरि वासर का समापन 7 जून को सुबह 11:25 बजे होगा। इस दिन व्रत करने वाले गृहस्थों के लिए यह व्रत 32 घंटे 21 मिनट तक रहेगा। व्रत सूर्योदय से शुरू होगा और पारण के समय तक चल सकता है।
निर्जला एकादशी का महत्व
कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे वर्ष की एकादशियां नहीं रख पाता, तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत रखने से उसे पूरे वर्ष की 24 एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत पापों का शमन करता है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करता है। भक्त विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं। इस दिन का व्रत व्यक्ति को चारों पुरुषार्थों की सिद्धि दिलाता है। बताया जाता है कि महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को कहा था कि यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष में केवल एक एकादशी रख सकता है, तो निर्जला एकादशी ही रखे।
निर्जला एकादशी व्रत की विशेष बातें
यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है (अर्थात मई-जून के बीच)। इस दिन एक बूंद जल भी ग्रहण नहीं किया जाता (अगर स्वास्थ्य अनुमति दे तो)। व्रत रात्रि जागरण, भगवान विष्णु की पूजा और भजन-कीर्तन के साथ किया जाता है। अगर स्वास्थ्य ठीक न हो तो निर्जला न सही, फलाहार या केवल जल व्रत रख सकते हैं।