Vat Savitri Vrat 2025: वट वृक्ष की पूजा क्यों करती हैं सुहागिनें? जानिए वट सावित्री व्रत का महत्व
punjabkesari.in Wednesday, May 21, 2025 - 12:09 PM (IST)

नारी डेस्क: वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक अत्यंत शुभ पर्व है जो इस वर्ष 26 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। यह दिन ज्येष्ठ मास की सोमवती अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, जो व्रत के फल को और भी अधिक शुभ बनाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बरगद के पेड़ के नीचे वापस लिए थे। तभी से यह व्रत पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
वट सावित्री व्रत के दौरान की जाने वाली पूजा
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पूजा में परिक्रमा की जाती है और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनाई जाती है। इसके बाद सुहाग सामग्री का दान भी किया जाता है। इस साल व्रत के दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
बरगद का पेड़ न केवल एक वृक्ष है बल्कि हिंदू धर्म में यह एक जीवंत प्रतीक माना जाता है। इसे अक्षय वटवृक्ष कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बरगद के पेड़ में त्रिमूर्ति का निवास माना गया है। इसके जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु, और शाखाओं में शिव का वास होता है। बरगद की लटकती हुई जटाएं मां सावित्री के स्वरूप मानी जाती हैं, जो त्याग, तपस्या और संतान की देवी हैं। कहा जाता है कि यक्षों के राजा मणिभद्र से ही इस वटवृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, और तभी से यह दिव्यता का प्रतीक बन गया।
वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा क्यों की जाती है?
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विद्यमान हैं। मान्यता है कि इस पेड़ की जड़ें ब्रह्मा, तना विष्णु का और शाखाओं में शिव का वास होता है। कहा जाता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जैसे सावित्री अपने समर्पण से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाई थीं, उसी तरह इस व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ये भी पढ़े: वट सावित्री व्रत: पति की लंबी उम्र के लिए ये खास उपाय जरूर करें सुहागिनें
वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा कैसे करें?
व्रत के दिन की शुरुआत: वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सोलह श्रृंगार करें।
पूजा सामग्री: पूजा सामग्री में रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप-बत्ती, और कच्चा सूत शामिल करें।
वट वृक्ष की पूजा
महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे एकत्र होकर व्रत कथा का श्रवण करें। फिर, बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाएं और रोली-चंदन से तिलक करें। कच्चे सूत को बरगद के तने के चारों ओर 7 या 11 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। पूजा के बाद, 7 या 11 सुहागिन स्त्रियों को सुहाग सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, और वस्त्र दान करें।
बरगद के पेड़ के नीचे दान क्यों करें?
वट वृक्ष की पूजा के बाद 7 या 11 सुहागिन स्त्रियों को दान देना शुभ माना जाता है। यह दान श्रद्धा और सौभाग्य का प्रतीक होता है, जिसे प्रेमपूर्वक अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस दान से सुहाग पर कोई संकट नहीं आता और सौभाग्य की रक्षा होती है। त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और प्रेम बना रहता है। इस दिन का दान संतान सुख की प्राप्ति में भी सहायक माना गया है।
इस दिन की पूजा और दान का विशेष महत्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और प्रेम का संचार भी करता है। बरगद के पेड़ की पूजा और दान से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।