गोरे लोगों को ही स्किन कैंसर क्यों होता है ज़्यादा? हर साल आते हैं इतने मामले

punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 03:21 PM (IST)

नारी डेस्क:   दुनिया भर में कैंसर के मामलों में तेजी देखी जा रही है, लेकिन इन सबमें त्वचा का कैंसर यानी स्किन कैंसर एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। खासतौर पर गोरी त्वचा वाले लोगों में इसके मामले सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है?

मेलानिन की कमी बनी खतरा

हमारी त्वचा में मेलानिन नामक एक रंगद्रव्य होता है, जो सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों से बचाव करता है। जिनकी त्वचा गहरी होती है, उनमें मेलानिन की मात्रा अधिक होती है और UV से सुरक्षा भी अधिक होती है। लेकिन गोरे लोगों की त्वचा में मेलानिन की मात्रा कम होती है, जिससे उनकी स्किन सूरज की किरणों से जल्दी प्रभावित हो जाती है और स्किन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

जेनेटिक कारण भी अहम

गोरे लोगों में स्किन कैंसर के लिए एक खास जीन जिम्मेदार माना जाता है, जिसे MC1R कहा जाता है। यह जीन मेलानिन बनाने में मदद करता है। अगर इसमें गड़बड़ी हो जाए, तो शरीर पर्याप्त मेलानिन नहीं बना पाता। इसके कारण गोरी त्वचा वाले लोग सूरज की किरणों के असर से जल्दी प्रभावित होते हैं और मेलेनोमा नामक स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

UV किरणें और स्किन कैंसर का सीधा संबंध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में पूरी दुनिया में स्किन कैंसर के करीब 3.32 लाख नए मामले सामने आए। इनमें से लगभग 2.67 लाख केस UV किरणों की वजह से हुए। इसका मतलब साफ है कि धूप में ज्यादा समय बिताना, टैनिंग करना और बिना सुरक्षा के रहना स्किन कैंसर के बड़े कारण हैं।

वैज्ञानिक शोधों में क्या निकला?

अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट (2020) के मुताबिक, गोरे लोगों में स्किन कैंसर होने की संभावना काले या भूरे रंग की त्वचा वालों की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है। रिपोर्ट के अनुसार, कॉकसियन (Caucasian) यानी गोरे लोगों में मेलेनोमा का खतरा जीवनभर में लगभग 2.6 प्रतिशत तक होता है, जबकि अफ्रीकी और एशियाई मूल के लोगों में यह दर 0.1 प्रतिशत से भी कम है।

हर साल कितने मामले सामने आते हैं?

AIM at Melanoma Foundation के अनुसार 2024 में अमेरिका में 200,340 नए मेलेनोमा मामले दर्ज किए गए। इनमें से 100,640 मामले इनवेसिव थे और 99,700 इन-सीटू (आरंभिक अवस्था) में थे। 7,990 लोगों की मौत हुई 2025 के अनुमानित आंकड़े 104,960 इनवेसिव मेलेनोमा केस दर्ज हो सकते हैं 107,240 इन-सीटू केस सामने आ सकते हैं, 8,430 मौतों की आशंका जताई गई है।

गोरी त्वचा वाले लोगों में मेलानिन की कमी होती है, जो उन्हें सूरज की किरणों से सुरक्षा नहीं दे पाती। इसके अलावा जेनेटिक फैक्टर और बढ़ती UV किरणों की तीव्रता स्किन कैंसर के खतरे को और अधिक बढ़ा देती है। शोधों में भी यह साबित हो चुका है कि 80 प्रतिशत से अधिक मेलेनोमा केस सीधे UV एक्सपोजर से जुड़े होते हैं।

बचाव के तरीके

धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं

टोपी और धूप से बचाव करने वाले कपड़े पहनें

नियमित स्किन चेकअप कराएं

टैनिंग बेड्स से दूर रहें

यदि आपकी त्वचा गोरी है या आप ज्यादा समय धूप में बिताते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। 

  
 


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Content Editor

Priya Yadav

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