पहाड़ों में रहने वाले बच्चे क्यों पैदा हो रहे हैं बौने? नए शोध में पता चली वजह

punjabkesari.in Friday, Apr 26, 2024 - 06:38 PM (IST)

‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल न्यूट्रीशियन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ' में प्रकाशित एक नये शोध के अनुसार भारत में पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में बौनेपन का अधिक खतरा है। पांच साल से कम उम्र के 1.65 लाख से अधिक बच्चों के डेटा का विश्लेषण करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि बौनापन उन लोगों में अधिक आम है जो माता-पिता की तीसरी या बाद की संतान हैं, और जन्म के समय जिनकी लंबाई कम थी।

PunjabKesari

 विश्लेषण के लिए 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) से डेटा शामिल किया गया था। बौनेपन को परिभाषित करने के लिए डब्ल्यूएचओ मानकों का उपयोग किया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि लगातार अधिक ऊंचाई वाले वातावरण में रहने से भूख कम हो सकती है, और ऑक्सीजन व पोषक तत्वों का अवशोषण सीमित हो सकता है। इन शोधकर्ताओं में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, मणिपाल के शोधकर्ता भी शामिल थे। हालांकि उन्होंने कहा कि अवलोकन अध्ययन में इन कारणों के बीच कोई जुड़ाव नहीं मिला।

PunjabKesari
अध्ययन टीम ने यह भी कहा कि पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में फसल की कम पैदावार और कठोर जलवायु के कारण खाद्य असुरक्षा अधिक होती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पोषण कार्यक्रमों को लागू करने समेत स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इन बच्चों में बौनेपन का कुल प्रसार 36 प्रतिशत पाया गया, 1.5-5 वर्ष की आयु के बच्चों (41 प्रतिशत) में यह प्रबलता 1.5 वर्ष से कम आयु के बच्चों (27 प्रतिशत) की तुलना में अधिक थी।

PunjabKesari
 शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में पाया कि 98 प्रतिशत बच्चे समुद्र तल से 1000 मीटर से कम, 1.4 प्रतिशत बच्चे समुद्र तल से 1000 से 2000 मीटर ऊंचाई के बीच जबकि 0.2 प्रतिशत बच्चे समुद्र तल से 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर रहते थे। उन्होंने कहा कि समुद्र तल से 2000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर रहने वाले बच्चों में समुद्र तल से 1000 मीटर ऊपर रहने वालों की तुलना में बौनेपन का खतरा 40 प्रतिशत अधिक पाया गया। विश्लेषण में यह भी पाया गया कि अपने माता-पिता की तीसरी या इसके बाद की संतान 44 प्रतिशत बच्चों में बौनापन प्रबल था, जबकि इससे पहले जन्मे बच्चों में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत था। इसके अलावा जन्म के समय छोटे या बहुत छोटे बच्चों में बौनेपन की दर भी अधिक (45 प्रतिशत) थी। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Recommended News

Related News

static