पुरुष या औरत, कोरोना का खतरा किसे ज्यादा, पढ़िए क्या कहती है स्टडी?
punjabkesari.in Friday, Oct 02, 2020 - 07:07 PM (IST)
दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। लाखों की संख्या में लोगों इसकी चपेट में आ चुके हैं हालांकि अच्छी बात यह है कि बहुत से लोग इस वायरस को हराने में कामयाब भी रहे। कई देशों में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का काम जारी है जबकि रुस को वैक्सीन बनाने में सफलता मिल गई है। इस वायरस से जुड़े नए-नए शोध किए गए हैं, जिससे चलतेरोज नए-नए लक्षणों का खुलासा हो रहा है। इसी बीच एक सवाल उठता है कि क्या कोरोनावायरस लिंग-आधारित है?
चलिए इस पर विस्तार से जानते हैं कि अध्ययन इस बारे में क्या कहते हैं?
जैविक कारणः Biological Reason
जर्नल आफ इम्यूनोलाॅजी में 2017 के अध्ययन में कोरोनावायरस से लिंग भेद पर ध्यान दिया गया जो सार्स (जिसमें 2003 की महामारी के दौरान महिलाओं की तुलना में पुरुषों की ज्यादा मौतें देखी गई थीं) का कारण बनते हैं। उस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि नर चूहों में इस वायरस के प्रसार की ज्यादा आशंका थी लेकिन जब उन्होंने मादा चुहिया में एस्ट्रोजन को सामान्य तरह से काम करने से रोक दिया तो महिलाएं ऊंची दर के साथ बीमार पड़ गईं।
शोधकर्त्ताओं का मानना है कि यह एक हिस्सा है क्योंकि कई महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं और एक्स क्रोमोसोम में प्रतिरोधक प्रणाली से संबंधित जींस ज्यादा होते हैं। अतिरिक्त प्रतिरक्षा क्रिया हालांकि महिलाओं को ऑटोइम्यून रोगों के लिए ज्यादा जोखिम में डालती है जिनमें गठिया और क्रोहन रोग जैसी बीमारियां शामिल हैं लेकिन यह कोरोनावायरस को नियंत्रित रखने में मददगार हो सकती है।
व्यवहारगत कारणः Practical Reason
धूम्रपान
जर्नल ऑफ एपिडेमायोलाॅजी एंड कम्युनिटी हेल्थ के 2017 के विश्लेषण में कहा गया कि 54 प्रतिशत चीनी किशोर तंबाकू का सेवा करते हैं जबकि चीनी महिलाओं का प्रतिशत महज 2.6 है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के, अनुसार 2016 तक लगभग 41 प्रतिशत दक्षिण कोरियाई पुरुषों ने धूम्रपान किया जबकि महिलाओं के लिए यह करीब 6 प्रतिशत था। (स्पेन में भी समान ट्रेंड दिखा है, जैसा कि अमेरिका में, लेकिन लिंग अंतर उतना ज्यादा नहीं है जितना चीन और दक्षिण कोरिया के लिए है) इसके अलावा कुछ कारण यह भी हैं जिसके चलते पुरुषों जल्दी बीमारियों की चपेट में आते हैं।
लिंगों में अन्य प्रमुख सामाजिक एवं सांस्कृतिक अंतर
उदाहरण के लिए, अमेरिका में विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि पुरुष अपने हाथ कम धोते हैं और उनमें किसी बीमारी में जल्द देखभाल की संभावना कम देखी जाती है।
सलाहों को मानने की आदत
राॅयटर्स के 24 मार्च के सर्वे से पता चला है कि महिलाओं की तुलना में कम प्रतिशत पुरुष कोरोनावायरस के बारे में चेतावनियों को गंभीरता से ले रहे थे।
बेरोजगारी से पुरुष ज्यादा प्रभावित
कोरोना के चलते बेरोजगारी की दर महिला की बजाए पुरुष में ज्यादा है। इसी मौजूदा स्थिति का अवसाद (डिप्रैशन) स्वच्छता संबंधी स्थितियों से परहेज करने के लिए जिम्मेदार है।
व्यावसायिक मांग
कई पुरुष ऐसे पेशे में हैं जहां मूल स्वच्छता पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है।
इंडस्ट्रियल वर्टिकल व्यवसाय
सामान्य तौर पर महिलाएं ज्यादातर हाॅस्पिटैलिटी, डेस्कजाॅब आदि जैसे हाइजीनिक इंडस्ट्रियल में ज्यादा व्यस्त रहती हैं।
इसके अलावा कुछ संभावित कारणः
1. टेस्टिंग के लिए महिलाओं की संख्या कम
2. जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारत में कोविड-19 सीएफआर (केस स्टडी दर) पुरुषों में 2.9 प्रतिशत है लेकिन महिलाओं में 3.3 प्रतिशत, इसके बावजूद पुरुषों में संक्रमण के मामले 66 प्रतिशत थे जबकि महिलाओं में 34 प्रतिशत (20 मई, 2020 तक)।
3. महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा सीमित है।
4. हमारी सामाजिक व्यवस्था में महिला स्वास्थ्य कम चिंताजनक विषय है।
हम किसी पुष्टि शोध के साथ इस धारणा का समर्थन नहीं कर सकते, लेकिन विभिन्न अध्ययनों में इस तरह की कुछ संभावनाओं की भविष्यवाणी की गई है।
Mr. Sameer Bhati
Director at Star Imaging & Path Lab