Albinism Awareness Day: जन्मजात बीमारी है एल्बिनिजम, जानिए इसके खतरे

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 04:58 PM (IST)

दुनियाभर में हर साल 13 जून को विश्व अंतरराष्ट्रीय रंगहीनता जागरूकता दिवस (Albinism Awareness Day) मनाया जाता है। इस दिन का को मनाने का मकसद लोगों को ज्यादा से ज्यादा इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। यह बीमारी शरीर में कुछ तत्वों की कमी की वजह से होती है, जिसके बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी होती है।

एल्बिनिजम एक दुर्लभ स्थिति है, जो 4 में से 1 मामले में देखी जाती है। भारत में वर्तमान में एल्बिनिजम से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 1,00,000 है।

क्या है रंगहीनता (ऐल्बिनिजम)

इस बीमारी में त्वचा पर पिगमेंट की कमी हो जाती है, जिससे त्वचा का रंग हल्का होने लगता है। त्वचा व बालों को रंग मेलेनिन नामक एक पिगमेंट से मिलता है। मगर, कुछ लोगों में यह तत्व बहुत कम होता है, जिसे ऐल्बनिज़म कहा जाता है। सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवर और पेड़-पौधे को भी रंगहीनता की समस्या हो सकती है।

Epidemiology of Albinism

आंखों पर भी होता है असर

कभी-कभी इस बीमारी में बच्चे का पूरा शरीर प्रभावित होता है जबकि कुछ मामलों में सिर्फ आंखे ही प्रभावित होती हैं। वहीं कुछ की आंखे भूरी दिखती हैं और कभी-कभी आखें गुलाबी या लाल भी दिख सकती हैं।

जानिए क्या हैं इसके कारण

- जनेटिक यानि आनुवांशिक। यह बीमारी माता-पिता से बच्चे को हो सकती है।
- शरीर में मेलेनिन नामक तत्व की कमी होना 

बीमारी के लक्षण

. त्वचा का रंग हल्का होना या बिगड़ जाना
. बालों का रंग सफेद या ब्राउन हो जाना
. आंखों का रंग हल्का नीला या ब्राउन हो जाना
. थोड़ी रौशनी होने पर आंखों का रंग लाल दिखना
. भौहों का रंग बदलना

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कैसे रखें बचाव?

रंगहीनता एक ऐसा विकार है, जिसके लिए बहुत अधिक इलाज उपलब्ध नहीं है। इसमें आंख व त्वचा की पूरी तरह से देखभाल करना बहुत जरूरी होता है।।

-आंखों व त्वचा की जांच करवाते रहना चाहिए
-जरूरत हो तो चश्मा लगा लेना चाहिए।
-धूप में जाने से बचना चाहिए। अधिक देर धूप में रहने से यह समस्या बढ़ सकती है।
-धूप व यूवी किरणों से बचाने वाले कपड़े पहनना
-यूवीए और यूवीबी किरणों से बचाने वाली ऐसी सनसक्रीन लगाएं, जिसकी एसपीएफ क्षमता 50 या उससे ऊपर हो।

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Content Writer

Anjali Rajput

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