आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख भगवान गणेश  की करें पूजा, गणपति बप्पा के भोलेनाथ भी होंगे प्रसन्न

punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 07:31 AM (IST)

नारी डेस्क: हिन्दू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का दिन बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) भगवान गणेश को समर्पित वह विशेष तिथि होती है जो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है। यह दिन विशेष रूप से संकटों को दूर करने वाला माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी दुख, रोग और बाधाएं दूर होती हैं, और कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ (शिवजी) स्वयं भी अपने पुत्र गणेश की आराधना करते हैं।
PunjabKesari

व्रत और पूजा विधि 

सबसे पहले  प्रातःकाल स्नान करें और शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल पर गणेश जी की स्थापना करें, गणेश जी की मूर्ति या चित्र लाल वस्त्र पर रखें। दीया जलाएं, पुष्प, रोली, अक्षत, दूर्वा और 21 लड्डू चढ़ाएं। दिनभर निर्जल व्रत (या फलाहार) रखें। शाम को चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन करके व्रत तोड़ें। जल, चावल, दूध और फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद व्रत पूर्ण करें।

 

संकष्टी चतुर्थी पर ये पाठ अवश्य करें

-संकट नाशन गणेश स्तोत्र
-गणपति अथर्वशीर्ष
-"ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जप

शुभ मुहूर्त

वैशाख माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रोदय के समय पूजा की जाती है, इसलिए 16 अप्रैल को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय सुबह 5 बजकर 55 मिनट से से सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगा.
PunjabKesari

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव और मां पार्वती नदी के पास बैठे हुए थे। इसी दौरान मां पार्वती ने चौपड़ नाम का एक खेल खेलने की इच्छा भगवान शिव के सामने रखी। खेल में निर्णायक समस्याएं आ रही थी। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए मां पार्वती ने एक बाल को मिट्टी की प्रतिमा का रुप दे दिया और उसमें प्राण भी डाल दिए। इसके बाद खेल शुरु हो गया लेकिन इस खेल में भगवान शिव लगातार हार ही रहे थे। एक बार तो बालक ने मां पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया। जिसके बाद मां पार्वती उस बालक से नाराज हो गई थी। मां पार्वती ने बालक को श्राप दे दिया और उस बालक का एक पैर भी खराब हो गया। बालक ने दुखी होकर मां पार्वती से क्षमा मांगी। जिस पर मां पार्वती ने कहा कि संकष्टी के दिन यहां कन्याएं पूजा के लिए आती हैं। इस दिन तुम विधि पूछकर गणेश भगवान की पूजा करना वो तुम्हें श्राप से मुक्त कर देंगे। मां पार्वती के कथानुसार बालक ने श्री गणेश की पूजा की जिसके बाद मां पार्वती उससे प्रसन्न हो गई और उसे श्राप मुक्त कर दिया।


चंद्रमा को कैसे दे अर्घ्य

संकष्टी चतुर्थी का व्रत तभी पूरा माना जाता है जब चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाए। ऐसे में  पूरा दिन व्रत रखकर शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। चंद्रमा की पूजा करें, रोली और अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद ही अपना व्रत खोलें। इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन गणेश भगवान की आरती और कथा पढ़ना न भूलें। इससे आप पर भगवान गणेश की कृपा रहेगी। गणेश भगवान की कृपा से आपको जीवन में अपार सफलता मिलेगी और जीवन के संकट भी दूर होंगे। कहा जाता है कि इस दिन भगवान की पूजा करने से  पुण्य असीम होता है। कहते हैं, इस दिन भोलेनाथ स्वयं गणेश जी का पूजन करते हैं। संकष्टी चतुर्थी भोलेनाथ खुद करते हैं भगवान गणेश की पूजा


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Related News

static