13 की उम्र में खोई आंखें, पर नहीं खोया हौंसला.... पाक की वो दृष्टिबाधित डिप्लोमेट जिसने बदल दी दुनिया की सोच
punjabkesari.in Tuesday, May 27, 2025 - 01:07 PM (IST)

नारी डेस्क: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की प्रतिनिधि साइमा सलीम ने कहा कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर पहलगाम की घटना की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय राजदूत पर्वतनेनी हरीश पर तीखी मौखिक प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अस्पष्टता से तथ्यों को नहीं छिपाया जा सकता। राजनीति से इतर, अगर सायमा सलीम के निजी जीवन की बात करें तो वह हौसले की मिसाल है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
साइमा सलीम पाकिस्तान की पहली दृष्टिहीन महिला राजनयिक हैं, जिन्होंने न केवल अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों को पार किया, बल्कि देश की सिविल सेवा और विदेश सेवा में भी नई मिसाल कायम की। साइमा सलीम का जन्म 10 अगस्त 1984 को लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था। बचपन में ही उन्हें रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (Retinitis Pigmentosa) नामक एक दुर्लभ नेत्र रोग का पता चला, जिससे उनकी दृष्टि धीरे-धीरे कम होती गई और 13 वर्ष की आयु में वे पूरी तरह से दृष्टिहीन हो गईं।
सिविल सेवा में प्रवेश और संघर्ष
साइमा ने किन्नैर्ड कॉलेज फॉर विमेन, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और एम.फिल की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने जिनेवा अकादमी ऑफ इंटरनेशनल ह्यूमैनिटेरियन लॉ एंड ह्यूमन राइट्स से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। 2007 में, साइमा ने पाकिस्तान की सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज (CSS) परीक्षा में छठा स्थान प्राप्त किया, जो उस वर्ष महिलाओं में सर्वोच्च था। हालांकि, उस समय दृष्टिहीन उम्मीदवारों को विदेश सेवा में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। साइमा ने इस नीति को चुनौती दी और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनकी अपील पर प्रधानमंत्री ने नियमों में संशोधन किया, जिससे वे पाकिस्तान की पहली दृष्टिहीन सिविल सेवक बनीं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर योगदान
साइमा सलीम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हुए ब्रेल लिपि में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया। उनका यह भाषण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और उन्होंने यह साबित किया कि दृष्टिहीनता किसी की क्षमता को सीमित नहीं कर सकती। साइमा एक प्रेरक वक्ता और लेखिका भी हैं। उन्होंने भारतीय अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों पर एक पुस्तक लिखी है, जिसे ब्रेल में भी प्रकाशित करने की योजना है। उनका मानना है कि दृष्टिहीनता कोई बाधा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हो सकती है।
परिवार और सामाजिक योगदान
साइमा के भाई यूसुफ सलीम पाकिस्तान के पहले दृष्टिहीन न्यायाधीश हैं। उनकी बहन भी दृष्टिहीन हैं और लाहौर विश्वविद्यालय में व्याख्याता हैं। यह परिवार दृष्टिहीनता के बावजूद शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में अग्रणी है। साइमा सलीम की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी बाधा सफलता के मार्ग में नहीं आ सकती। उनकी उपलब्धियां न केवल दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्पद हैं।