जानिए, रिब्बोंडिंग, स्ट्रेटनिंग और स्मूदनिंग में क्या है अंतर
punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2019 - 06:16 PM (IST)

लंबे, सीधे व खूबसूरत बाल हर किसी को पसंद होते है, लेकिन आज की बिजी लाइफ में इतना समय नही होता है कि आप बालों की अच्छे से केयर कर सकें। सबसे ज्यादा मुश्किल तब होती है जब आपके बाल कर्ली या फ्रिजी हो। आज लड़कियां अपने कर्ली बालों को सीधे करने के लिए हेयर स्मूदनिंग, रिबॉन्डिंग या स्ट्रेटनिंग की मदद ले रहे है। इन सब तकनीक के साथ आप बालों का ट्रीटमेंट तो करवा लेते है लेकिन इसके बारे में पूरी जानकारी नही होती है। कई बार आप तीनों ट्रीटमेंट को एक ही समझ लेते है लेकिन इनमें काफी अंतर होता है। इसलिए बालों के लिए यह ट्रीटमेंट लेने से पहले इन तीनों में क्या अंतर है यह जरुर जान लें।
हेयर स्मूदनिंग
यह तकनीक बालों को नेचुरल तरीके से सिल्की व स्मूथ बनाए रखती हैं। आप बालों को आसानी से संभाल भी सकते है। यह तकनीक थोड़े स्ट्रेट व वेवी हेयर्स के लिए अच्छी होती है न कि मोटे व कर्ली हेयर के लिए। इससे आपको फ्रिजी, डल व दो मुंहें बालों की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसमें बालों पर formaldehyde सॉल्यूशन लगा कर उसे सूखने के बाद फ्लैट आयरन से बालो को स्ट्रेट किया जाता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले कैमिकल बाकी ट्रीटमेंट के मुकाबले आपके बालों को कम नुकसान पहुंचाते है। इसका इफेक्ट 2 से 4 महीने तक रहता है।
हेयर ड्रायर
अगर आपके पास सैलून जाने का समय नही है तो आप घर पर बाल धोने के बाद उन्हें आधे सूखा कर हेयर ड्रायर कर लें। इससे आपको अपने बालों को सेट करने में 20 मिनट लगेगें। इसका असर एक से दो दिन तक दिखाई देगे। वहीं अगर आप अपने बालों पर रोज ड्रायर करेगें तो यह बालों के लिए अच्छा नही होगा। यह आपके बालों को नुकसान पहुंचा सकता है।
हेयर रिबॉन्डिंग
यह तकनीक ज्यादा कर्ली, फ्रिजी व मोटे हेयर के लिए अच्छी होती है। यह तकनीक महंगी होने के साथ साथ बालों में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इस परमानेंट स्ट्रेट हेयर केयर कहते है, लेकिन जब बालों की नेचुरल ग्रोथ होनी शुरु हो जाती है तो बाल दोबारा अपनी पहली पॉजीशन में धीरे- धीरे आने लगते है। इस प्रोसेस में 5 से 6 घंटे लग जाते है। इसमें केमिकल्स को बालों के अंदर की लेयर तक ले जाते है। जिस कारण बाद में बालों की केयर व नरिश्मेंट की काफी जरुरत होती हैं। इससे हेयर फाल की समस्या हो सकती हैं।
हेयर स्ट्रेटनिंग
यह बहुत ही फ्रिजी और कर्ली हेयर के लिए अच्छा ऑप्शन होती है। इसमें बालों को ज्यादा लंबे समय तक स्ट्रेट नही किया जा सकता है। लेकिन यह देखने में थोड़ा सा आर्टीफिशियल लगता है। इसके साथ ही बालों की एक्ट्रा केयर भी करनी पड़ेगी। इसमें बालों को स्ट्रेट करने में बालों की लंबाई के हिसाब से 4 से 6 घंटे लग जाते है।
ओलैप्लेक्स
यह बालों का मुरम्मत करने में काफी मदद करता हैं। ओलाप्लेक्स का ट्रीटमेंट 20 दिनों में चार स्टेप में किए जाते है, पहले व दूसरे स्टेप में बालों को शैंपू किया जाता है। तीसरे में रात के समय बालों में 10 मिनट कंघी की जाती है। यह टूटे हुए बालों की मुरम्मत करने में काफी मदद करता हैं।