श्रीमद्भगवद्गीता के हैं 18 अध्याय और 700 श्लोक, जानिए इस धर्म ग्रंथ के बारे में और भी रोचक बातें
punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2024 - 03:01 PM (IST)
नारी डेस्क: आज देश भर में गीता जयंती मनाई जा रहा है। गीता जयंती मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाई जाती है। "गीता" ग्रंथ की उत्पत्ति 5,000 साल पहले हुई थी जब भगवान श्री कृष्ण ने कौरवों और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान अर्जुन को कर्म की शिक्षा दी थी। जीवन के मार्गदर्शन और आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत माना जाता है। आइए जानते हैं भगवद्गीता के कितने हैं श्लोक और क्या है इसे पढ़ने का नियम।
भगवद्गीता के श्लोक और अध्याय
श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें करीब 700 श्लोक हैं। भागवत गीता महाभारत के 18 अध्यायों में से 1 भीष्म पर्व का हिस्सा भी है। गीता में वेदों का निचोड़ है। गीता को अर्जुन के अलावा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से संजय ने सुना था और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया था। गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है।
गीता पढ़ने का नियम
गीता पढ़ने से पहले शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। इसे शांत और स्वच्छ स्थान पर पढ़ा जाना चाहिए। सुबह या संध्या का समय आदर्श माना जाता है। इसे पढ़ने के बाद इसके उपदेशों को अपने जीवन में लागू करने का प्रयास करें। गीता पढ़ते समय यह संकल्प लें कि आप इसके ज्ञान को आत्मसात करेंगे।
भगवद्गीता का प्रमुख संदेश है:
कर्मयोग: निष्काम भाव से कर्म करना।
ज्ञानयोग: आत्मा और परमात्मा के ज्ञान को समझना।
भक्ति योग: ईश्वर की भक्ति में लीन रहना।
गीता जयंती के दिन भगवद्गीता का पाठ करना और इसके संदेशों को आत्मसात करना जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवद्गीता में क्या खास है
गीता में कर्म, धर्म, भक्ति और ज्ञान का समन्वय है। यह बताती है कि मानव को कैसे अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए। गीता के उपदेश धर्म, जाति, भाषा और समय से परे हैं। यह हर किसी को प्रेरित करता है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो। यह आत्मा और परमात्मा के संबंध, जीवन के उद्देश्य और मृत्यु के बाद के जीवन को समझने का मार्ग दिखाती है। गीता सिखाती है कि कैसे नैतिकता और कर्तव्य को बनाए रखते हुए सही निर्णय लेना चाहिए।
महत्व
भगवद्गीता को न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, और जीवन प्रबंधन के दृष्टिकोण से भी बहुत मूल्यवान माना जाता है। इसे पढ़ने और समझने से मनुष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक और व्यावहारिक बनता है। गीता आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा और आत्मिक शांति का स्रोत है।